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Shubhangi Atre: Immersed in the joy of Ganesh Utsav

गणेश उत्सव के आनंद में डूबी शुभांगी अत्रे!

Shubhangi Atre
Shubhangi Atre: Immersed in the joy of Ganesh Utsav


गणेश उत्सव के दौरान पूरे दस दिनों तक आस-पास का माहौल बहुत ही खुशनुमा और हर्षोउल्लास से भरा होता है। परिवार के सभी लोग पूजा-प्रार्थनाओं के जरिये अपने प्यारे बप्पा का स्वागत करने में जुट जाते हैं, जिसे घरों में भी खुशी और उत्साह का परिवेश देखने को मिलता है। एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में अंगूरी भाबी के किरदार के लिये मशहूर शुभांगी अत्रे इन दिनों त्योहारों के उल्लास में डूबी हुई हैं और त्योहार के लिये अपने उत्साह को दिखा रही हैं। हाल ही में हुई एक बातचीत में शुभांगी ने भगवान गणेश के साथ अपने गहरे जुड़ाव और गणेश उत्सव को लेकर अपने लगाव के बारे में बात की।  

Shubhangi Atre
Shubhangi Atre: Immersed in the joy of Ganesh Utsav


1. भारत में गणेश चतुर्थी का त्योहार काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बतौर कलाकार या सेलेब्र्रिटी इस त्योहार को लेकर आप क्या महसूस करती हैं। आप यह त्योहार कैसे मनाती हैं और गणेश उत्सव के दौरान अपने दर्शकों के साथ कैसे जुड़ती हैं?


गणेश चतुर्थी की मेरे दिल में एक खास जगह है और मुझे अपने घर एवं कम्युनिटी में बप्पा का स्वागत करने का पूरे साल बेसब्री से इंतजार रहता है। इन दस दिनों के दौरान पूरा माहौल ऊर्जा एवं सकारात्मकता से भरा रहता है, जो मुझे बहुत पसंद है। किसी दूसरे भक्त की तरह, मुझे भी पंडालों में भगवान गणेश की मनमोहक मूर्तियों एवं वहां की सजावट को देखना अच्छा लगता है। लोगों के बीच लोकप्रिय होने की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि हमारे लिये इन पंडालों में जाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यहां पर हमारे प्रशंसक हमेशा ही मौजूद होते हैं और विभिन्न तरीकों से अपना प्यार जताते हैं, जैसे कि तस्वीरें लेना, बातचीत करना, हमारे काम की सराहना करना वगैरह-वगैरह। उनके इस प्यार एवं सहयोग के लिये मैं वाकई में बहुत आभारी हूं, क्योंकि उनकी बदौलत ही हमें सेलेब्रिटी माना जाता है। हालांकि, सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के कारण हम पंडालों में जाकर दर्शन करने को लेकर कभी-कभी हम सीमित हो जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद मुझे बहुत मजा आता है। मैं पूरे दिल से कोशिश करती हूं कि अपने परिवार वालों, दोस्तों और सहकर्मियों के साथ प्रसिद्ध पंडालों में जाकर बप्पा के दर्शन कर पाऊं। हाल ही में मुझे अपने होमटाउन इंदौर में अपने प्यारे दोस्तों के साथ महाआरती में भाग लेने का मौका मिला। यह एक यादगार अनुभव था। गणेश जी की मूर्ति इतनी मनमोहक थी, कि मैं उनके सौंदर्य में खो सी गई और मुझे आध्यात्मिक अनुभूति हुई। हमने हमारे प्रशंसकों के साथ आरती की और उन्होंने हम जो प्यार बरसाया, उससे इंदौर के प्रति मेरा प्रेम और भी बढ़ गया है। 


2. भगवान गणेश के साथ अपने जुड़ाव के बारे में हमें बताईये। आप कितने सालों से गणेश चतुर्थी का त्योहार मना रही हैं और बप्पा को पहली बार घर लाने का आपका अनुभव कैसा था? 



गणपति बप्पा के लिये मेरे दिल में एक अनूठा स्थान है। मेरी जिंदगी के हर उतार-चढ़ाव में वो हमेशा एक बड़े भाई की तरह मेरे साथ रहे हैं। मैं जब भी किसी मुश्किल में होती हूं, मुझे ऐसा लगता है जैसे बप्पा कह रहे हों, ‘‘चिंता मत करों, मैं तुम्हारे साथ हूं।‘‘ मुझे जब से याद है, बप्पा हमेशा से हमारे घर आते रहे हैं और जब गणेश जी डेढ़ दिनों के लिये हमारे घर आते थे, तो पूरा घर खुशियों से भर जाता था। गणपति के घर आगमन की तैयारियों दो हफ्ते पहले से ही शुरू हो जाती थीं और मेरे पापा एवं बहनें अपनी-अपनी क्रिएटिविटी दिखाने में जुट जाते थे। मुझे याद है कि प्रतिमा स्थापना और प्रातः आरती करने के लिये कैसे हम सुबह-सुबह ही जाग जाते थे और पारंपरिक कपड़े पहन कर तैयार हो जाते थे। सुबह से ही हमारे घर में मेहमानों का आना शुरू हो जाता था और हमारी परंपरा के अनुसार हम लगभग 100-150 रिश्तेदारों एवं दोस्तों को घर पर एकत्र करते थे। अपनी प्यारी बहनों और मां की मदद से हम पूरी मेहनत और लगन से बप्पा एवं अन्य अतिथियों के लिये मोदक, लड्डु, मालपुआ और खीर जैसे पारंपरिक व्यंजन बनाते थे। 


3. कलाकारों का शेड्यूल अक्सर काफी व्यस्त होता है। आप अपने काम और गणेश चतुर्थी के जश्न की तैयारियों को कैसे मैनेज करती हैं? 


गणपति बप्पा हमारे घरों में अपार आनंद एवं समृद्धि लेकर आते हैं। मैं जब गणेश जी की मूर्ति को अपने घर पर विराजमान देखती हूं, तो मेरी खुशी एवं उत्साह अपने चरम पर होता है। इस साल इस पावन उत्सव का जश्न मनाने के लिये मेरी बेटी यहां पर नहीं है। हम पिछले 10 सालों से गणपति उत्सव की तैयारियां पूरे जोर-शोर से करते आ रहे हैं। वह हर साल सजावट और तैयारियों की जिम्मेदारी संभालती है, ताकि मैं अपने काम से संबंधित प्रतिबद्धताओं, खासतौर से ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की शूटिंग पर ध्यान दे पाऊं। लेकिन इस साल मुझे हर काम खुद ही करना पड़ा। शुरूआत में मुझे काफी मुश्किल हो रही थी, लेकिन बाद में सब मैनेज हो गया। मुझे उसकी कमी बहुत खली। 


4. गणपति उत्सव अपनी बेहतरीन सजावट और रीति-रिवाजों के लिये मशहूर है। क्या आप अपनी पसंदीदा परंपराओं या सजावट के बारे में बता सकती हैं, जिसे आप अपने जश्न में शामिल करती हैं?


हमारे प्यारे गणपति बप्पा के लिये अपने दिलों में अपार प्रेम के साथ, हम गणपति का स्वागत करने और उन्हें प्रसन्न करने के लिये हमारे घर को आकर्षक एवं खूबसूरत थीमों से सजाते हैं। हम मनमोहक इको-फ्रेंडली हैंडमेड काॅफ्ट आइटम्स, ढेर सारे फूलों और अन्य चीजों से सजावट करते हैं। मुझे खासतौर से फूल बेहद पसंद हैं, क्योंकि मेरा मानना है कि यह हर किसी के चेहरे पर मुस्कान लेकर आते हैं। मैं मिट्टी और शाडु-माति से बनी इको-फ्रेंडली मूर्तियां पसंद करती हूं और लोगों से भी ऐसी ही मूर्तियों को स्थापित करने का अनुरोध करती हूं। इसके साथ ही मेरा मानना है कि हमें गणपति उत्सव की सजावट में उन चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये, जो प्राकृतिक आवास को नुकसान पहुंचाते हों। गणेश जी के साथ इस पावन अवसर का जश्न मनाने के लिये मैं हर दिन अपने काम से एक दिन की छुट्टी लेती हूं। पूजा के दौरान भगवान को दूर्वा, मोदक, गुड़, नारियल, लाल फूल, लाल चंदन और कपूर अर्पित करना हमारी आवश्यक परंपराओं में से एक है। मेरे घर पर बप्पा के दर्शन करने के लिये मेरे परिवार वाले और दोस्त आते हैं और उनके आने से मुझे बेहद खुशी होती है। 


5. गणेश चतुर्थी ध्यान करने और बप्पा का आभार जताने का समय होता है। इस त्योहारी मौसम के दौरान आप आपने दर्शकों एवं प्रशंसकों को क्या संदेश देना चाहेंगी? 


इस त्योहार की जो बात मुझे सबसे ज्यादा अच्छी लगती है, वह यह है कि हम सभी इस त्योहार के दौरान एकसाथ आते हैं और सभी आपस में पूरी गर्मजोशी से मिलते-जुलते हैं इस दौरान मन जो सुकून व आनंद होता है वह मुझे बहुत अच्छा लगता है। इसके साथ लोगों के चेहरों की मुस्कान और फिज़ा में फैली सकारात्मक ऊर्जा भी मुझे पसंद है। मेरा मानना है कि यह सब बप्पा के आशीर्वाद के कारण ही है और मैं उनसे यही कामना करती हूं कि वह मेरे सभी प्रियजनों को अच्छी सेहत एवं खुशियों का वरदान दें। मैं सभी लोगों से विसर्जन के दौरान पटाखों और प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल नहीं करने का अनुरोध करती हूं। कृपया इस त्योहार को पर्यावरण हितैषी तरीके से मनायें और हमारी प्रकृति मां का ख्याल रखें। 


अपनी चहेती अंगूरी भाबी को देखिये ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में हर सोमवार से शुक्रवार, रात 10:30 बजे सिर्फ एण्डटीवी पर!

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