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गिरफ्तारी व्यक्ति का अधिकार

 गिरफ्तारी के मामले में कृपया निम्नलिखित दिशा निर्देश को सुनिष्चित करें



डी.के बासु के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दिशानिर्देश

डी.के. बासू बनाम स्टेट आफ वेस्ट बंगाल के मामले में माननीय, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किसी भी गिरफ्तारी के मामले में निम्नलिखित दिशा निर्देश का पालन करना अपेक्षित है

o    गिरफ्तारी का कार्य कर रहे पुलिस अधिकारी, गिरफ्तारी के समय, गिरफ्तारी का एक ज्ञापन पत्र तैयार करेगा और यह ज्ञापन-पत्र दो गवाहों द्वारा अनुप्रमाणित किया जाएगा जो गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार के सदस्य या जिस क्षेत्र से गिरफ्तारी की गई है उस क्षेत्र का कोई सम्मानित व्यक्ति हो सकता है यह भी हिरासत द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित किया जाएगा तथा इस पर गिरफ्तारी का समय तथा तिथि दर्ज होगा।

o    वह व्यक्ति जिसकी गिरफ्तारी की गई है या रोक कर रखा गया है तथा किसी पुलिस थाना या पूछताछ केन्द्र या अन्य हवालात में अभिरक्षा में रखा जा रहा है, एक दोस्त या रिष्तेदार या उनको जानने या उनका भलाई चाहने वाले व्यक्ति को जितनी जल्दी हो सके सूचित किए जाने का अधिकार प्राप्त होगा, कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया है और किसी विषेष स्थान पर रोक कर रखा गया है, जब तक कि गिरफ्तारी के ज्ञापन पत्र को अनुप्रमाणित करने वाला गवाह स्वयं, गिरफ्तार व्यक्ति का ऐसा दोस्त या रिश्तेदार नहीं होता

o    पुलिस द्वारा गिरफ्तारी का समय, स्थान, गिरफ्तार व्यक्ति की अभिरक्षा का स्थान आवश्य ही अधिसूचित किया जाएगा जहाँ गिरफ्तार व्यक्ति का अन्य दोस्त या रिश्तेदार जिला या शहर से बाहर रहता है जिला में कानूनी सहायता संगठनों तथा संबंधित क्षेत्र के पुलिस थानाों के माध्यम से गिरफ्तारी के 8 से 12 घंटे के भीतर टेलीग्राम के माध्यम से अधिसूचित किया जाएगा

o    गिरफ्तार व्यक्ति को, अपनी गिरफ्तारी या हवालात की सूचना, अपने किसी मित्र को गिरफ्तारी या हवालात मे रखे जाने के तुरंत बाद से सूचित किए जाने के अधिकार से अवष्य ही अवगत कराया जाएगा

o    हवालात के स्थान पर व्यक्ति के गिरफ्तारी के संबंध में खुलासा करते हुए उस व्यक्ति के अन्य मित्र जिसे गिरफ्तारी की सूचना दी गई थी तथा पुलिस अधिकारी का नाम तथा स्थान का विवरण जिनकी अभिरक्षा में गिरफ्तार व्यक्ति को रखा गया है, डायरी में दर्ज किया जाएगा

o    यदि गिरफ्तार व्यक्ति के शरीर में कोई छोटा या बड़ा जख्म विद्यमान रहता है, उनके निवेदन पर गिरफ्तारी के समय उसकी जाँच की जाएगी तथा इसे रिकार्ड किया जाएगा गिरफ्तार व्यक्ति तथा गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकरी दोनों के द्वारा निरीक्षण ज्ञापन में हस्ताक्षर किया जाएगा और इसकी प्रति गिरफ्तार व्यक्ति को मुहैया कराई जाएगी

o    गिरफ्तार व्यक्ति को हवालात में रखने के दौरान प्रत्येक 48 घंटे में अनुमोदित डाक्टरों की सूची से एक डाॅक्टर द्वारा या निदेशक, स्वास्थ्य सेवा द्वारा संबंधित राज्य या संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन के लिए नियुक्त डाॅक्टर द्वारा चिकित्सा जाँच किया जाएगा निदेशक स्वास्थ्य सेवा, सभी तहसीलों और जिलों के लिए ऐसी एक सूची तैयार करेगा।

o    उपरोक्त के संदर्भ में, गिरफ्तारी के ज्ञापन सहित सभी दस्तावेजों की प्रतियाँ मजिस्ट्रेट को रिकाॅर्ड हेतु भेजा जाना होगा

o    गिरफ्तार व्यक्ति को, पूछताछ के दौरान अपने वकील से मिलने की अनुमति दी जाएगी, तथापि संपूर्ण पूछताछ के दौरान नहीं

o    सभी जिला और राज्य मुख्यालयों में एक पुलिस नियंत्रण कक्ष उपलब्ध कराया जाएगा जहाँ गिरफ्तारी तथा गिरफ्तार व्यक्ति की अभिरक्षा के स्थान के संबंध में गिरफ्तार करने वाले अधिकारी द्वारा, गिरफ्तारी के 12 घंटों के भीतर सूचना प्रदान किया जाएगा तथा पुलिस नियंत्रण कक्ष में सुप्रकट सूचना पट्ट में प्रदर्शित किया जाएगा।

गिरफ्तारी के संबंध में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एन.एच.आर.सी.) द्वारा जारी दिशानिर्देश

दिशा निर्देश की आवष्यकता

गिरफ्तारी का अर्थ गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करना है अतएव, यह मानव के स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकार का उल्लंघन करता है तथापि भारतीय संविधान के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार कानून, कानून तथा व्यवस्था बनाए रखने हेतु अपनी प्राथमिक भूमिका के एक हिस्से के रूप में किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने हेतु राज्य की शक्तियों को मान्यता प्रदान करता है संविधान में, विधि द्वारा स्थापित न्यायसंगत निष्पक्ष तथा तर्क संगत पद्धति अपेक्षित है जिसके तहत ही स्वतंत्रता का वंचन अनुज्ञेय है यद्यपि संविधान के अनुच्छेद 22(1) में उपबंधित है कि गिरफ्तारी के अधीन प्रत्येक व्यक्ति को जितनी शीघ्र हो सके गिरफ्तारी के कारण की सूचना दी जाएगी तथा उन्हें अपने पंसद के वकील से परामर्श करने के अधिकार से वंछित नहीं किया जाएगा तथा दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (सी.आर.पी.सी.) की धारा 50 में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी से अपेक्षित है कि ‘‘अपराध का पूर्ण विवरण जिसके लिए उसे गिरफ्तार किया गया है या ऐसे गिरफ्तारी की किसी अन्य वजह की सूचना तुरंत देगा’’ वास्तव में इन अपेक्षाओं का पालन नहीं किया जाता इसी तरह, गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय में शीघ्र पेष करना संविधान (अनुच्देद 22(2) तथा सी.आर.पी.सी. (धारा 57) दोनों में अनिवार्य है, का भी सख्ती से पालन नहीं किया जाता

मानव अधिकार का उल्लंघन तथा पुलिस की शक्तियों के दुरूपयोग के संबंध में कई शिकायतें पाई गई है इसीलिए यह आवष्यक बन पड़ा है, विधि और व्यवहार्यता के मध्य दूरी को कम करने के लिए गिरफ्तारी के संबंध में दिशा निर्देश निर्धारित की जाए इसके साथ ही साथ कानून तथा व्यवस्था को बनाए रखने तथा लागू करने और उचित अन्वेषण को मध्य नजर रखते हुए पुलिस की शक्तियों पर अनावश्यक रूप से पाबंदी नही लगाई जा सकती  

गिरफ्तारी पूर्व

o    बिना वारंट के गिरफ्तारी की शक्ति का प्रयोग, किसी शिकायत की सच्चाई और महत्वता तथा दोनों ही व्यक्तियों की अपरााधिता के संबंध में उचित विष्वास और साथ ही साथ गिरफ्तार करने की जरूरत के अनुसार, कुछ जाँच के उपरांत तर्कसंगत निर्णय पर पहुँचने के बाद किया जा सकता है (जोगिन्दर कुमार का मामला- (1994) 4 एस.सी.सी. 260)  

o    संज्ञेय अपराध के मामले में केवल शक्ति होने के आधार पर कानून के हिसाब से बिना वारंट के गिरफ्तार करना न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है

o    जोगिन्दर कुमार के मामले के बाद सर्वोच्च न्यायालय की प्रश्न संख्या 54 में घोषणा की कि क्या गिरफ्तारी की शक्ति का प्रयोग उचित रूप से किया गया या नही, स्पष्ट रूप से न्यायोचित है

o    निम्नलिखित में से किसी एक या अन्य परिस्थितियों में संज्ञेय मामले में गिरफ्तारी को न्यायोचित ठहराया जा सकता है:-

o    ऐसे मामलों में हत्या, डकैती, लूटमार, बलात्कार जैसे गंभीर अपराध शामिल है, इन मामलों में संदेहप्रद व्यक्ति को भाग जाने से रोकने तथा कानूनी प्रक्रिया से बच पाने के लिए गिरफ्तारी आवष्यक है

o    हिंसात्मक आचरण पर संदेह किया जाता है जो और भी अपराध कर सकता है।

o    संदिग्ध व्यक्ति को साक्ष्यों को नष्ट करने से या गवाहों के साथ छेड़-छाड़ करने से या अब तक गिरफ्तार किए गए अन्य संदिग्धों को चेतावनी देने से रोकने के लिए आवश्यक है

o    यदि संदिग्ध व्यक्ति एक अभ्यस्त अपराधी है जो समान्य प्रकार के या अन्य अपराध कर सकता है (राष्ट्रीय पुलिस आयोग के तृतीय रिपोर्ट)

 उपर्युक्त जघन्य अपराधों के अलावा यदि कोई पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को पुलिस थाना में उपस्थित होने तथा बिना अनुमति पुलिस थाना छोड़ने की सूचना जारी करता है गिरफ्तारी की जाए (जोगिन्दर कुमार का मामला (1994) एस.एस.सी. 260)

 जिन अपराधों पर जमानत दिया जा सकता है, गिरफ्तारी नहीं किया जाएगा जब तक कि संदिग्ध व्यक्ति के फरार होने की पूर्ण आशंका हो

 गिरफ्तार या पूछताछ करने वाले पुलिस अधिकारी की स्पष्ट पहचान तथा पदनाम सहित नाम का टैग दिखाना होगा गिरफ्तार या पूछताछ करने वाले पुलिस कर्मी का विवरण उसी समय पुलिस थाना में रखी रजिस्टर में रिकाॅर्ड करना होगा

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 गिरफ्तार

o    नियमानुसार, गिरफ्तार करते समय जोर जबरदस्ती नहीं की जाएगी तथापि गिरफ्तार होने से बलपूर्वक प्रतिरोध के मामले में कम से कम बल प्रयोग किया जा सकता है तथापि गिरफ्तार किए जा रहे व्यक्ति के शरीर पर दिखने अथवा दिखने वाले जख्म लगे, यह सुनिष्चित किया जाएगा  

o    गिरफ्तार किए जा रहे व्यक्ति की गरिमा का रक्षा की जाएगी गिरफ्तार व्यक्ति की परेडिंग या लोक प्रदर्षन की किसी भी परिस्थिति में अनुमति नहीं होगी

o    व्यक्ति की गरिमा को सम्मान देते हुए जोर-जबरदस्ती तथा अक्रामकता के बिना व्यक्ति की गोपनीयता के अधिकार की रक्षा करते हुए, तलाशी ली जाएगी महिलाओं की तलाशी केवल महिलाओं द्वारा ही शालीनता के साथ की जाएगी (एस .51(2) सी.आर.पी.सी.) 55

o    हथकड़ी और बेड़ी का कदापि प्रयोग नहीं किया जाएगा इसे सर्वोच्च न्यायालय के प्रेम शंकर शुक्ला बनाम दिल्ली प्रशासन (1980) 3 एस.सी.सी. 526) और लोकतंत्र के नागरिक बनाम असम राज्य (1995) 3 एस.सी.सी. 743 के निर्णय में विधि के अनुसार बार बार व्याख्या की गई है और अनिवार्य कर दिया गया है

o    जहाँ तक व्यवहारिक हो सके महिला पुलिस अधिकारी को सम्बद्ध किया जाएगा जहाँ पर गिरफ्तार किए जाने वाला व्यक्ति महिला है सूर्यास्त के बाद और सूर्याेदय से पहले महिलाओं की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी

o    जहाँ पर बच्चों या किशोर की गिरफ्तारी की जानी है, किसी भी परिस्थिति मे बल प्रयोग या पिटाई नहीं की जाएगी इस उद्धेशय के लिए पुलिस अधिकारी सम्मानित नागरिकों को सम्मिलित करेंगे, ताकि बच्चे या किशोर आतंकित हो और कम से कम बलप्रयोग किया जाए

o    जहाँ बिना वारंट के गिरफ्तारी की जाती है, गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत गिरफ्तारी का कारण उस भाषा में सूचित किया जाएगा जिसे वह समझता/समझती है पुनः पुलिस इस उद्धेशय के लिए यदि आवश्यक हुआ सम्मानित नागरिकों की सहायता ले सकती है। गिरफ्तारी का कारण पुलिस रिकाॅर्ड में पहले से लिखित रूप में रिकार्ड कर देना होगा गिरफ्तार व्यक्ति को लिखित कारण दिखाया जाएगा, साथ ही साथ माँग करने पर एक प्रति भी दी जाएगी (5.50(1) सी.आर.पी.सी.)

o    गिरफ्तार व्यक्ति, उनके द्वारा की गई निवेदन पर एक मित्र, संबंधी या उसको जानने वाले किसी अन्य व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी की सच्चाई और हिरासत के स्थान की सूचना देने की माँग कर सकता है पुलिस, जिस व्यक्ति को यह सूचना दी गई है एक रजिस्टर में रिकाॅर्ड करेगा (जोगिन्दर कुमार का मामला (सुपरा)

o    यदि किसी व्यक्ति को जमानती अपराध के लिए गिरफ्तार किया जाता है, पुलिस अधिकारी उन्हें जमानत पर छोड़े जाने के उनके हकदारी के विषय में सूचित करेगा ताकि वह जमानत की व्यवस्था कर सकें (एस 50(2) सी.आर.पी.सी.)

o    गिरफ्तार व्यक्ति को उक्त अधिकारों की सूचना देने के अलावा, पुलिस उन्हें, अपने पसंद के वकील से परामर्ष कर बचाव के अधिकार की सूचना भी देगा उसे इस बात की सूचना भी दी जाएगी कि वह राज्य की खर्च पर मुफ्त कानूनी सलाह का हकदार है (डी.के.बासु का मामला (1997) 1 एस.सी.सी.)

o    जब गिरफ्तार व्यक्ति को पुलिस थाना लाया जाता है, उसे शीघ्र चिकित्सा सहायता दिया जाएगा, यदि वह इस संबंध में निवेदन करता है उसे इस अधिकार की सूचना शीघ्र दी जाएगी जहाँ पुलिस अधिकारी यह पाता है कि गिरफ्तार व्यक्ति को चिकित्सा मदद की आवष्यकता है किन्तु उसकी स्थिति ऐसी कि वह निवेदन करने में असमर्थ है, वह ऐसे मदद की शीघ्र व्यवस्था करेगा जिसे उसी समय रजिस्टर में रिकाॅर्ड किया जाएगा महिला द्वारा चिकित्सा सहायता के निवेदन पर पंजीकृत महिला चिकित्सक द्वारा ही जाँच की जाएगी (एस.53 सी.आर.पी.सी..)  

o    गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी द्वारा गिरफ्तार और हिरासत के स्थान की सूचना अविलंब पुलिस, नियंत्रण कक्ष तथा जिला/राज्य मुख्यालय को दी जाएगी एक निगरानी प्रणाली दिन-रात कार्य करेगी

o    जैसे ही व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है, गिरफ्तार करने वाला पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति के शरीर पर विद्यमान चोट के होने या होने का विवरण गिरफ्तारी रजिस्टर में दर्ज करेगा यदि गिरफ्तार व्यक्ति के शरीर में कोई चोट पाया जाता है, वह चोट कैसे लगा है, इसका पूर्ण विवरण तथा अन्य ब्यौरा रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा जिस पर गिरफ्तार व्यक्ति और पुलिस अधिकारी दोनों हस्ताक्षर करेंगे गिरफ्तार व्यक्ति के छूटने के समय उक्त के संबंध में गिरफ्तार व्यक्ति को पुलिस अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा

o    यदि गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय के आदेश के आधीन पुलिस हिरासत में रखा जाता है, उनके हिरासत के दौरान प्रत्येक 48 घंटे में संबंधित राज्य या संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन के स्वास्थ्य निदेशक द्वारा अनुमोदित चिकित्सकों के पैनल से नियुक्त किसी प्रशिक्षित चिकित्सा अधिकारी द्वारा चिकित्सा जाँच कराया जाएगा पुलिस हिरासत से छूटते समय गिरफ्तार व्यक्ति का चिकित्सा जाँच करवाया जाएगा तथा उन्हें एक प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा जिसमें उसके शरीर पर किसी चोट के विद्यमान होने या होने का उल्लेख होगा  

गिरफ्तारी के बाद

o    गिरफ्तार व्यक्ति को उनके गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर उचित न्यायालय में पेश किया जाएगा (धारा 56 तथा 57 .प्र.सं.) 

o    गिरफ्तार व्यक्ति को पूछताछ के दौरान किसी भी समय अपने वकील से मिलने की अनुमति होगी  

o    पूछताछ स्पष्ट पहचान वाले स्थान पर की जाएगी, जिसे इस प्रयोजन हेतु अधिसूचित किया गया है यह स्थान पहुंच योग्य होनी चाहिए तथा पूछ-ताछ किए जा रहे स्थान की सूचना गिरफ्तार व्यक्ति के मित्रों या परिजनों को अवष्य दी जाएगी  

o    पूछताछ की विधि आवश्य ही जीवन, गरिमा तथा स्वतंत्रता के अधिकार और उत्पीड़न एवं अपमान जनक व्यवहार के विरूद्ध अधिकार के अनुकूल होनी चाहिए

दिशा निर्देशे को लागू करना

1.     दिशा निर्देशे का जितनी भाषा में संभव हो सकेगा अनुवाद किया जाएगा तथा प्रत्येक पुलिस थाना को आबंटित किया जाएगा इसे पुस्तिका में भी शामिल किया जाएगा जिसे प्रत्येक पुलिस कर्मी को दिया जाएगा। 

2.     दिशा निर्देशे को प्रिंटिग मीडिया या अन्य इलेक्ट्राॅनिक मीडिया में अधिकतम प्रचार किया जाएगा। इसे प्रत्येक पुलिस थाना में एक से अधिक भाषा में सूचना पट्ट में मुख्य स्थान पर प्रदर्षित किया जाएगा

3.     पुलिस एक शिकायत निवारण प्रणाली आवश्य स्थापित करेगी, जो दिशा निर्देशे के उल्लंघन के शिकायतें का शीघ्र अन्वेषण करेगी तथा सुधारात्मक कार्रवाई करेगी

4.     जिस सूचना पट्ट मे दिशा निर्देश प्रदर्शित होगा उसी पर शिकायत निवारण प्रणाली की स्थिति तथा उस निकाय तक पहुंचने का रास्ता भी प्रदर्शित होगा

5.     इन दिशा निर्देशे के अधिक से अधिक प्रचार को सुनिशिचत करने हेतु न्यायालयों सहित गैर सरकारी संगठनों, अस्पतालों, विश्वविद्यालयों को भी अनिवार्य रूप से शालिम किया जाएगा

6.     शिकायत निवारण प्रणाली के कार्य कलाप पारदर्शी होंगे तथा इसके रिपोर्ट सुलभ होंगे।

7.     दिशा निर्देशे का उल्लंघन करने पर तुरंत दोशी पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी यह कार्रवाई केवल विभागीय जाँच तक ही सीमित होगी बल्कि अपराधिक न्याय तंत्र को भी भेजा जाएगा

 

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