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भारत के वैक्‍सीनेशन का हिस्‍सा बनेगी रूस की Sputnik V

देश में जारी कोविड 19 की दूसरी जानलेवा लहर के बीच ही 1 मई से वैक्‍सीनेशन की शुरुआत हो रही है. इस बार इस वैक्‍सीनेशन राउंड में 18 वर्ष और इससे ज्‍यादा की उम्र वाले लोगों को कोविड की वैक्‍सीन लगने वाली है. भारत में बनी कोवैक्‍सीन और एस्‍ट्राजेंका के फॉर्मूले पर बनी कोविशील्‍ड के अलावा इस बार रूस की वैक्‍सीन स्‍पूतनिक भी मैदान में है. कहा जा रहा है कि इस वैक्सीन की डोज भी इस बार लोगों को दी जाएगी. 


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अगस्‍त 2020 में हुई तैयार

पिछले वर्ष अगस्‍त में रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादीमिर पुतिन ने यह ऐलान अमेरिका से लेकर ब्रिटेन का चौंका दिया था कि उनके देश ने दुनिया की पहली कोविड वैक्‍सीन तैयार कर ली है. पुतिन ने दुनिया को बताया था कि उनकी बेटी को वैक्‍सीन की डोज दी गई है. इसके बाद अक्‍टूबर 2020 में रूस ने अपने देश में वैक्‍सीनेशन ड्राइव को लॉन्‍च कर दिया था. पुतिन ने पिछले वर्ष वैक्‍सीन के बारे में ऐलान करते हुए कहा था कि जल्‍द ही देश भर में वैक्‍सीन का उत्‍पादन शुरू हो जाएगा.

रूस के पहले सैटेलाइट पर पड़ा नाम

अपने पहले सैटेलाइट के नाम पर रूस ने कोविड की वैक्‍सीन का नाम स्‍पूतनिक V रखा. सोवियत संघ ने 4 अक्टूबर 1957 को दुनिया का पहला सैटेलाइट स्‍पूतनिक लॉन्च किया था. कोल्‍ड वॉर के समय लॉन्‍च हुए इस सैटेलाइट को रूस की बड़ी उपलब्धि माना गया था. पुतिन ने पिछले वर्ष कहा था कि वैक्‍सीन बहुत प्रभावी तरीके से काम करती है, एक स्थिर प्रतिरक्षा का निर्माण करती है. उन्‍होंने दोहराया कि इस वैक्‍सीन ने हर प्रकार के जरूरी परीक्षण को पास कर लिया है. रूस की कोरोना वायरस वैक्‍सीन को यहांं के गमेलिया रिसर्च इंस्‍टीट्यूट और रूस के रक्षा मंत्रालय की तरफ से तैयार किया गया है.

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कोविशील्‍ड के फॉर्मूले पर हुई तैयार

स्‍पूतनिक वैक्‍सीन को वेक्टर प्लेटफॉर्म पर ही तैयार किया गया है और इसे कोविशील्‍ड जैसा बताया जा रहा है. कोविशील्ड में चिम्पैंजी में मिलने वाले एडेनोवायरस का प्रयोग किया गया है. वहीं, रूसी वैक्सीन में दो अलग-अलग वेक्टरों को मिलाकर प्रयोग किया गया है. एस्ट्राजेनेका और स्‍पूतनिक के कम्बाइंड ट्रायल्स की बात भी चल रही है. स्पूतनिक V को अब तक दुनिया के 60 देशों में मंजूरी मिल चुकी है. बेलारूस, सर्बिया, अर्जेंटीना, बोलिविया, अल्जीरिया, फिलिस्तीन, वेनेजुएला, पैराग्वे, यूएई, तुर्कमेनिस्तान में इस वैक्‍सीन को मंजूरी दी जा चुकी है.कहा जा रहा है कि यूरोपियन यूनियन के ड्रग रेगुलेटर की तरफ से भी इसे जल्द मंजूरी मिल सकती है.

क्‍यों मिलेगी भारत को बड़ी मदद

स्‍पूतनिक V 91.6 फीसदी तक प्रभावी होने का दावा किया जा रहा है. अभी तक अमेरिका में बनी फाइजर और और मॉडर्ना की वैक्‍सीन में ही 90 फीसदी तक की प्रभावशीलता देखी गई है. देश में इस समय दो वैक्सीन कोवैक्‍सीन और कोविशील्‍ड ही उपलब्‍ध हैं. भारत बायोटेक की कोवैक्सिन की प्रभावशीलता 81 फीसदी है. वहीं सीरम इंस्‍टीट्यूट (SII) की निर्मित कोविशील्ड की प्रभावशीलता 80 फीसदी तक है. अब रूस की वैक्‍सीन आने के बाद स्‍पूतनिक V भारत की वो इकलौती वैक्‍सीन बन जाएगी जिसकी प्रभावशीलता 90 फीसदी से ज्‍यादा है.

कीमत अभी तय नहीं

कोवैक्‍सीन और कोविशील्‍ड का कुल उत्‍पादन इस समय 4 करोड़ प्रतिमाह का है. इससे बस 25 लाख डोज की ही जरूरत रोज पूरी की जा सकेगी. वैक्‍सीनेशन शुरू होने के बाद इस समय 35 लाख डोज रोज दिए जा रहे हैं. यानी कम से कम 7 करोड़ डोज हर महीने चाहिए होंगे. ऐसे में वैक्‍सीन की मांग पूरी करने के लिए भारत को और वैक्सीन डोज की जरूरत होगी. वैक्‍सीन को बनाने वाले रशियन डायरेक्‍ट इनवेस्‍टमेंट फंड (RDIF) के सीईओ किरिल दिमित्रेव के अनुसार यह वैक्सीन सब तक पहुंच सके, इसके लिए इसकी कीमत 10 डॉलर से कम रखी गई है यानी 700 रुपए से भी कम में यह वैक्‍सीन उपलब्‍ध हो सकती है. स्‍पूतनिक को भारत में डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी विकसित कर रही है.

स्रोत-TV9

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