Banner

घुमंतू जातियों के कल्‍याण के लिए बना था इदाते कमीशन, क्‍या थी इसकी सिफारिशें- जानें सबकुछ

 

जनवरी 2015 में केंद्र सरकार ने घुमंतू जातियों के कल्‍याण के लिए भीखू इदाते के नेतृत्‍व में एक आयोग NCDNT (नेशनल कमीशन फॉर डी-नोटिफाइड, नोमेडिक एंड सेमी-नोमेडिक ट्राइब्स) का गठन किया था। इस आयोग का कार्यकाल तीन वर्ष का था। वर्ष 2018 में इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी, जिसके बाद सरकार ने विभिन्‍न मंत्रालयों और राज्‍यों से इस पर उनकी राय मांगी थी। 
इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इन जनजातियों के विकास के लिए कुछ सिफारिशें की थीं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अब इसी रिपोर्ट को लागू करने की मांग की है। 

आजादी के इतने वर्ष बाद भी इन लोगों को कई राज्‍य अपना नागरिक नहीं मानते हैं। ये आज भी विकास की मुख्‍य धारा से कोसों दूर हैं। घुमन्तु जाति ब्रिटिश हुकूमत का कट्टर विद्रोह करती थी, इस जाति ने भारत को आजाद करने के लिए ब्रिटिश हुकूमत से हमेशा लोहा लिया। ये हमारे देश के स्वतंत्रता सैनानी हैं। 
आजादी से पूर्व ब्रिटिश हुकूमत ने इन घुमंतू जातियों को सत्‍ता के खिलाफ सशस्त्र विद्रोही समुदाय मानते हुए क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट, 1871 के तहत जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया। भारत के आजाद होने के बाद अगस्त 1952 ने सरकार ने इन्हें इस एक्ट से मुक्‍त किया। अब ये जनजातियां विमुक्त जनजातियां कहलाती हैं। भारत की आजादी के इतने वर्षों बाद आज भी ये समुदाय सामाजिक न्याय से पूरी तरह वंचित और विकास की धारा से कोसों दूर हैं। 2011 में हुई जातिवार जनगणना के मुताबिक इनकी संख्‍या 15 करोड़ थी।

यह भी देखें: भारत का घुमन्तु समुदाय आखिर कब तक अपने होने न होने का सबूत देता रहेगा?

ये थी इदाते कमीशन की सिफारिशें:
1. भारत में ये समुदाय सर्वाधिक पिछड़े, वंचित और उपेक्षित हैं। इनमें से कुछ एससी, एसटी और ओबीसी में भी शामिल हैं, बावजूद इसके इनको कभी कोई लाभ नहीं मिला। इदाते आयोग में इन समुदायों के लिए स्थायी आयोग का गठन की सिफारिश की। इसके मुताबिक इसमें विमुक्त-घुमंतू समुदाय के प्रभावशाली नेता को अध्यक्ष और भारत सरकार के सचिव या अपर सचिव स्तर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी को आयोग का सचिव बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा इसके दो सदस्‍यों में प्रशासनिक विज्ञानी व समाजशास्त्री या प्रोफेशनल सामाजिक कार्यकर्ता होना चाहिए। आयोग को वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए। साथ ही इसके सदस्‍यों का कार्यकाल तय किया जाना चाहिए।
2. प्रत्‍येक राज्‍य में एससी/एसटी के लिए अलग से बने विभाग और निदेशालय की तर्ज पर ही विमुक्त एवं घुमंतू जनजातियों के लिए निदेशालय विभाग गठित किए जाना चाहिए।
3. इन जनजातियों में शामिल ऐसे समुदाय जो किसी आरक्षित श्रेणी में नहीं आते हैं उन्‍हें प्रथम दृष्टया ओबीसी में शामिल किया जाना चाहिए। वहीं ऐसे समुदाय जो विभिन्‍न राज्‍यों में अलग-अलग श्रेणियों में आते हैं उन्‍हें एक ही श्रेणी में लाकर इस विसंगति को दूर किया जाना चाहिए। 
4. जातिवार जनगणना 2011 के आंकड़े प्रकाशित किए जाने चाहिए। इससे घुमन्तु समुदाय के विकास एवं उत्थान के लिए उचित योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। 2021 में होने वाली जनगणना में घुमन्तु समुदाय की विशेषतौर पर जनगणना की जानी चाहिए।
5. राष्ट्रपति को राजसभा के लिए और राज्यपाल को राजकीय विधान परिषद में इनका कम से कम एक-एक प्रतिनिधि मनोनीत करना चाहिए।
6. इन समुदायों को संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। इन्हें प्रोटेक्शन ऑफ एट्रोसिटी एक्ट के दायरे में लाया जाना चाहिए। इसके लिए जैसे शेड्यूल डिनोटिफाइड, नोमेडिक एंड सेमी-नोमेडिक ट्राइब्स बनाया जाना चाहिए। यदि ऐसा न हो सके तो इस समुदाय के लिए एससी, एसटी या ओबीसी कोटा के अंतर्गत ही पृथक उपश्रेणी बनाई जानी चाहिए।
7. ऐसे सभी राज्‍य जहाँ घुमन्तु समुदाय को क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट, 1871 के तहत जन्‍मजात अपराधी माना जाता है, उन्‍हें इससे विमुक्‍त किया जाना चाहिए। घुमंतू जनजातियां जिस किसी भी प्रांत में एक निर्धारित समय सीमा से रह रही होंं, उन्हें उस स्थान की घुमंतू जनजाति का दर्जा दिया जाना चाहिए। साथ ही उस प्रांत की जाति/जनजाति की सूची में इस समुदाय को शामिल किया जाना चाहिए। 
8. जिन राज्यों में हैबिचुअल ऑफेंडर्स एक्ट आज भी लागू है, उसको तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए।
9. विमुक्त एवं घुमंतू समुदायों को होने वाली परेशानियों के बारे में निर्वाचित प्रतिनिधियों, प्रशासकों तथा पुलिस को जागरुक किया जाना चाहिए। इसके लिए टीवी और दूसरे माध्‍यमों से विज्ञापन दिए जाने चाहिए।
10. नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग और स्टेट स्कूल बोर्ड को विमुक्त समुदायों के इतिहास को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
11. आयोगी ने इन्‍हें विशेष आर्थिक सहायता दिए जाने की भी सिफारिश की। इसमें केंद्र से न्‍यूनतम दस हजार करोड़ रुपये प्रत्‍येक राज्‍य को देने को कहा गया था।
12. घुमन्तु समुदाय के लिए उपयुक्त और जरूरी शिक्षा का मुहैया कराया जाना चाहिए। इनके बच्‍चों के लिए प्राइमरी स्कूल बनाए जाएं और अभिभावकों को बच्‍चों की शिक्षा को लेकर जागरुक किया जाए। विमुक्त और घुमंतू समुदायों के बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा, निशुल्क भोजन, निशुल्क पुस्तकें आदि दी जाएं एवं छात्रवृत्ति प्रदान की जानी चाहिए।
13. इन समुदायों की सेहत के लिए टीकाकरण, मेडिसिन डिस्‍ट्रीब्‍यूशन, परिवार नियोजन और गर्भवती महिलाओं की मदद को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। नियमित अंतराल पर डॉक्‍टरों की टीम को इनकी बस्तियों में जाना चाहिए। इनकी सेहत के लिए डिस्पेंसरी और अस्‍पताल की सुविधा होनी चाहिए।
14. इन्‍हें मकान बनाने के लिए जमीन के पट्टे, मकान हेतु एवं अनुदान उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इसके अलावा इन्‍हें मूलभूत सुविधाएं पाने का भी अधिकार होना चाहिए।
15. घुमन्तु समुदाय को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए इनका कौशल विकास किया जाना चाहिए। इसके अलावा स्वरोजगार के लिए इन्‍हें ऋण उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
भारत सरकार कब तक घुमन्तु समुदाय को अनदेखा करती रहेगी? आयोग को पुनःजीवित करके भारत सरकार को चाहिए कि घुमन्तु समुदाय के लिए की गईं सभी सिफारिशों पर सरकार अब गंभीरता से पूरा करने पर विचार करे। 

Follow Us:
Facebook

#Khanabadosh #Vimukt jati #banjara #banjare #Nomad #Nomadic

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ