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आंखों-देखी: हिंसा में शामिल पत्थरबाजों से कैसे बचकर भागे महिला, बच्चे और पुरुष

पानीपत। सोमवार दोपहर करीब दो बजे का वक्त था, हम बस में सवार होकर नलहड़ मंदिर पूजा करने के बाद गौरीशंकर मंदिर की तरफ बढ़ रहे थे। 800 मीटर चलकर अचानक बस रुक गई। शीशे से देखा तो आगे धुंआ उठ रहा था। बाहर निकलकर देखा तो किशोर बस जला रहे थे। इसी बीच तीन तरफ से उन पर पथराव हो गया। कुछ उपद्रवी पहाड़ियों में छिपकर बैठे थे, बाकी अस्पताल, होटल व मकानों की छत पर थे। उन्होंने पथराव किया। करीब पांच मिनट बाद पथराव बंद हुआ तो फिर पथराव संग गोलियां चलने लगीं। महिला, बच्चे बूढ़े, जवान सब मंदिर की तरफ भागने लगे। यह मेरी जिंदगी का सबसे खौफनाक मंजर था। यह कहना है नूंह हिंसा से बचकर पानीपत लौटे नूरवाला की धमीजा कॉलोनी निवासी 22 वर्षीय गौरव का।


अमर उजाला से बातचीत में गौरव ने बताया कि यह हिंसा सुनियोजित लग रही थी। क्योंकि पहले से उपद्रवी घात लगाकर बैठे थे। उनमें 70 प्रतिशत किशोर शामिल थे, जिनकी आयु महज 14 से 16 वर्ष थी। मानो उन्हें कोई लीड कर रहा हो। किशोर प्रशिक्षित लग रहे थे। उनकी आंखों में कोई डर नहीं था। पहले किशोरों की संख्या 30 से 40 थी, लेकिन बाद में उनकी संख्या सैकड़ों में हो गई। हम पर जैसे ही पथराव हुआ, हम सब बस से निकलकर वापस नलहड़ मंदिर की तरफ भागने लगे। इसी बीच मुझे एक पत्थर पेट में आकर लगा। मैं गिर गया, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और मैं उठकर फिर दौड़ने लगा। इसी बीच किशोर उन पर गोली बरसाने लगे। मेरे सामने एक नकाबपोश उपद्रवी आकर मुझे घेरने लगा तो मैं फिर धक्का देकर मंदिर की तरफ भागने लगा। किसी तरह मंदिर तक पहुंचा और अंदर छिपकर जान बचाई। हमारे सामने उपद्रवियों ने 100 से अधिक बसें व गाड़ियां जला दी। हम दोपहर दो बजे से लेकर रात करीब साढ़े सात बजे तक मंदिर के अंदर बंधक बने रहे। करीब साढ़े सात बजे पुलिस ने हमें निकालकर पुलिस लाइन पहुंचाया। उसके बाद हमें देर रात नूंह से निकाला गया। केएमपी तक पुलिस की टीम हमें छोड़कर गई। पानीपत की 20 महिलाएं, आठ बच्चे समेत 99 लोग रात दो पानीपत पहुंचे।

गौरव ने बताया कि मंदिर के अंदर सैकड़ों श्रद्धालु छिपे थे। उनमें महिलाएं और बच्चों की संख्या ज्यादा थी। पानी के महज 50 से 70 कैंपर थे। अंदर महिलाएं और बच्चे भूख से बिलबिला रहे थे। उन्होंने किसी तरह मंदिर में बने खीर का प्रसाद खिलाकर भूख शांत की। बजरंग दल के सदस्य कर्ण ने बताया कि उपद्रवी गाड़ियां जलाने लगे तो उसने विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों के साथ मिलकर महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित मंदिर तक पहुंचाया और दो बजे लेकर पांच बजे तक उपद्रवियों का जमकर मुकाबला किया। वह मुकाबला न करते तो उपद्रवी महिलाओं और बच्चों को भी बसों में जिंदा जला देते। 


साभार: अमर उजाला 

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