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इज़राइल की जेलों से क्यों नहीं सीखते भारतीय जेल के मंत्री

 भारतीय जेलों की चरमराती व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है। जेलों के अंदर बिगड़ती अर्थव्यवस्था के लिये जेल प्रशासन तो जिम्मेदार है ही, इसके साथ-साथ सरकार का भी दोष है क्योंकि जेलों में हो रहे अत्याचार इस बात की पूर्णतः गवाही देते हैं कि यहां मानवाधिकारों का क्या हाल है। जेल की चारदीवारी में कैद कैदियों के जख्मों पर कोई मरहम लगाने वाला नहीं है। इतनी सब बातों के बावजूद हमारी सरकार ने कभी इन जेलों का हाल जानने की कोशिश नहीं की। जेलों में हो रहा यह अत्याचार अमानवीय है।



पुरूषों के साथ साथ इन जेलों में महिलाओं की भी स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है। जेलों में बंद महिलाओं की स्थिति जेल में बंद पुरूषों से कई मामलों में भिन्न है। छोटे बच्चे के लालन पालन की जिम्मेदारी महिलाओं की होने के कारण उनके जेल में बंद होने पर नवजात शिशुओं की परवरिश की समस्या खड़ी होती है। उनके पास कोई और विकल्प न होने की वजह से इन मासूमों को भी जेल में ही रहना पडता है। इस प्रकार बिना कसूर के ये बच्चे भी जेल में बंदी हो जाते हैं।

महिलाओं के लिए जेल में कोई विशेष प्रबंध नहीं है। महिलाओं के लिए जेल नरक से भी बदतर है क्योंकि महिलाओं का यहां बहुत शोषण होता है। उन्हें अपनी इज्जत तक दांव पर लगानी पड़ती है। ऐसे भी देश हैं जिनसे हम जेलों की स्थिति में सुधार लाने के विषय में प्रेरणा ले सकते हैं। उनमें से एक बेहतर उदाहरण के तौर पर हम इज़राइल को ले सकते हैं।

इज़राइल एक बहुत छोटा देश है जिसकी आबादी करीब 80 लाख के आसपास है। इज़राइल में जेलों की देखरेख के लिए जिम्मेदार राज्य एजेंसियां है। यह सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आती हैं। इजरायली जेलों में स्थितियां आम तौर पर अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करती हैं। जैसे आई पी एस सुविधाओं, पूछताछ सुविधाओं और आई डी एफ केंद्रों की नियमित रूप से रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति द्वारा और कभी-कभी इज़राइल बार एसोसिएशन के द्वारा निगरानी की जाती है। 

यदि हम बात करें समानता की तो पुरुष और महिला कैदियों के लिए जेल की स्थिति समान है, और सभी कैदी अपने धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं। सभी इस्राइली नागरिकों को जेल में वोट देने का अधिकार है। कैदी अपने वकीलों और परिवार के सदस्यों से मिलने के हकदार हैं, और सुरक्षा कैदियों को रेड क्रॉस के दौरे की अनुमति है। ऐसे कैदी जो विवाहित हैं या सामान्य कानून संबंधों में हैं उन्हें दाम्पत्य रूप से मिलने का अधिकार भी है।

हम अमेरिका और इज़राइल जैसे देशों की बराबरी तो करना चाहते हैं लेकिन इन देशों की नीतियाँ नहीं अपनाना चाहते। बात अगर कम क्षमता वाली जेल में ज्यादा कैदी रखने की हो या अन्य सुविधाओं की आज हमारे देश की सरकार और मंत्रियों को ज़रूरत है कि इज़राइल से सीख लेते हुए देश की जेलों की दशा में कोई सकारात्मक पहल करें। यह जेलों की स्थिति के लिए एक अच्छी पहल साबित हो सकती है।

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