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राज्यसभा में विपक्षी दलों के नेताओं ने किया अमर्यादित व्‍यवहार, फेंकी रूल बुक

संसद में अर्मादित व्यवहार एक बार फिर देखने को मिला है। राज्यसभा में मंगलवार को एक बार फिर विपक्षी दलों के नेताओं ने जमकर हंगामा किया। इस दौरान विपक्षी दलों के नेता वेल में पहुंचे और डेस्क पर चढ़कर आसन की तरफ रूल बुल भी फेंक दी। कई बार हुए हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

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शाम चार बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होते ही अध्यक्ष भुवनेश्वर कलिता ने बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी। कृषि कानूनों के मुद्दे पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को अल्पकालिक चर्चा में बदलने को लेकर विपक्षी सदस्यों, मुख्य रूप से कांग्रेस के लगातार हंगामे के कारण संसद के उच्च सदन में मंगलवार को कई बार कार्यवाही बाधित हुई।

जब दोपहर तीन बजकर तीन मिनट पर राज्यसभा की दोबारा बैठक हुई तो कलिता ने कहा कि उपसभापति ने सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष के सदस्यों को चर्चा के लिए अपने कक्ष में बुलाया है। इसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही शाम चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले दोपहर के भोजन के बाद के सत्र में सदन को दोपहर तीन बजकर तीन मिनट तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।

आखिर क्यों हुआ हंगामा

दरअसल, दोपहर 2 बजे दोपहर के भोजन के बाद जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, कलिता ने कृषि से संबंधित समस्याओं और उनके समाधान पर एक संक्षिप्त चर्चा शुरू करने का आह्वान किया। इस पर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सभापति से कहा कि ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के उनके नोटिस को सदन के संज्ञान में लाए बिना और बिना सहमति के ही चर्चा का समय कम कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय एकतरफा है।

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ, लेकिन सदन की राय लेने की जरूरत है तो ले लीजिए। कलिता ने कहा कि यह अध्यक्ष का निर्णय है, इसलिए मैं इसमें बदलाव नहीं कर सकता और हम उसी आधार पर चर्चा करा रहे हैं। उन्होंने चर्चा शुरू करने के लिए भाजपा के विजय पाल सिंह तोमर को आमंत्रित किया। इस दौरान विपक्ष ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। तोमर ने सभापति से पूछा कि वह हंगामे के बीच कैसे बोल सकते हैं, लेकिन अपना भाषण जारी रखा और किसानों की खराब स्थिति के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया।

मेज पर चढ़ गए सांसद, फेंक दी रूल बुक

बाद में, बीजद नेता प्रसन्ना आचार्य ने भी हंगामे के बीच अपनी बात रखी। विपक्षी सदस्य नारे लगाते रहे, आचार्य को सुनना मुश्किल हो गया और सभापति ने सदन को दोपहर 2.32 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। आचार्य जब बोल रहे थे, तभी विरोध कर रहे सदस्यों में से एक सांसद महासचिव की मेज पर चढ़ गए। वह सदन की वेल में रहे और नारेबाजी करते रहे। इस दौरान आसन की तरफ रूल बुक भी फेंक दी। इस हंगामे के दौरान विपक्षी दल के नेताओं ने 'जय जवान, जय किसान' के नारे भी लगाए। इसके साथ ही तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग की।

ध्याानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा का समय घटाना मंजूर नहीं: जयराम रमेश

इस दौरान जयराम रमेश ने तीन दिसंबर 2015 के आसन के फैसले का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उक्त फैसले के मुताबिक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा का समय पूरे सदन के मामले को समझने और सहमति के बाद ही बदला जा सकता है। परंतु सदन के सदस्यों की कोई राय नहीं ली गई। यह एकतरफा है और मुझे स्वीकार्य नहीं है।

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उन्होंने कहा कि मैंने 23 जुलाई को तीनों कृषि कानूनों और पिछले नौ-दस महीने से चल रहे किसान आंदोलन पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया था। आज, मुझे अपना नाम अल्पावधि चर्चा की सूची में दिखाई दिया। मेरे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को अल्पावधि की चर्चा में परिवर्तित कर दिया है। यही वजह रही कि दोपहर 2.32 बजे संक्षिप्त स्थगन के बाद जब सदन की बैठक दोबारा शुरू हुई तो विपक्षी सांसदों ने फिर नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद कलिता ने कार्यवाही 30 मिनट के लिए अपराह्न 3.03 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी।

कांग्रेस सांसद ने दी सफाई

राज्यसभा में कांग्रेस के सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने सदन में हुए हंगामे को लेकर सफाई देते हुए कहा कि हम स्थगन प्रस्ताव पेश करने जा रहे थे। किसान चाहते हैं कि कृषि कानून को वापस लिया जाए, इसलिए इस पर चर्चा होनी चाहिए। वे (सरकार) तैयार नहीं हैं। आज हमें वेल तक जाना पड़ा, टेबल के ऊपर चढ़ना पड़ा और रूल बुक को डिप्टी चेयरमैन के पास ले जाना पड़ा, ताकि वह नियम पढ़ सकें।

उन्होंने कहा कि किसान एक कदम भी पीछे नहीं हटेंगे, आपको तीनों कानून वापस लेने होंगे.. हम किसी भी सजा के लिए तैयार हैं, वे हमें गोली मार सकते हैं, हम फांसी के लिए भी तैयार हैं। हम किसान बेटे हैं। सरकार हमारी सुनेगी तो अच्छा होगा। प्रताप सिंह बाजवा, कांग्रेस के सांसद

भाजपा सांसद ने की निंदा

भाजपा सांसद केजे अल्फोंस ने इस संबंध में कहा कि विपक्ष के सांसदों का व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण था। एक सांसद होने के नाते मुझे शर्म आती है। एक सांसद से ऐसी उम्मीद नहीं है। आपके पास अपना विरोध व्यक्त करने के अधिक सभ्य तरीके हैं, ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने मामले पर बहस करें। देश के लोग सांसदों से यही उम्मीद करते हैं।

साभार: अमर उजाला 

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