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जानें पद्मश्री मुन्ना मास्टर उर्फ़ रमज़ान खान की अनोखी कहानी

71वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्‍या पर पद्म पुरस्कारों का भी ऐलान हुआ। इसमें राजस्थान के भजन गायक रमजान खान उर्फ मुन्ना मास्टर को पद्मश्री से नवाजा गया। वह प्रोफेसर फिरोज खान के पिता हैं, जिनका पिछले दिनों बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के संस्कृत निकाय में नियुक्ति को लेकर बवाल मचा था। मुन्ना मास्टर जयपुर के निवासी हैं। वे भगवान श्रीकृष्ण और गाय पर भक्ति गीत के लिए मशहूर हैं। मुन्‍ना मास्‍टर के इसके जरिए कवि रसखान की परंपरा का आगे बढ़ाया है।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सरकार ने पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया। इसमें 118 हस्तियों को पद्मश्री देने का ऐलान किया गया है, जिसमें मुन्ना मास्टर का भी नाम शामिल है। 61 वर्षीय मुन्ना मास्टर जयपुर के बगरू के रहने वाले हैं। उन्होंने श्री श्याम सुरभि वंदना नाम से किताब भी लिखी है। वह संस्कृत का भी अच्छा ज्ञान रखते हैं।

संस्‍कृत पढ़ाने पर रिश्‍तेदारों ने तोड़ लिया था नाता

मुस्लिम समाज और उनके रिश्तेदारों से फिरोज खान के पिता रमजान खान से यह कहते हुए नाता-रिश्ता खत्म कर लिया था कि यदि वे अपने बेटे को संस्कृत पढ़ा रहे हैं तो बिरादरी उनसे रिश्ता नहीं रखेगी। लेकिन रमजान खान ने अपने समाज और रिश्तेदारों की परवाह किए बिना फिरोज खान सहित चारों बेटों को संस्कृत की पढ़ाई कराई। हालांकि अब जब रमजान खान का बड़ा बेटा फिरोज खान होनहार बन गया तो रिश्तेदारों ने वापस रिश्ता जोड़ लिया।

मदरसे के बजाय स्कूल में पढ़ने पर हुआ विरोध

बगरू कस्बे में दो कमरे और एक छोटे से बरामदे में रहने वाले फिरोज खान के परिजनों का कहना है कि उन्होंने पीढ़ियां से गोसेवा की है। पहले फिरोज खान के दादा गफूर खान गो सेवा करते थे और बाद में पिता रमजान खान ने कृष्ण और राम के भजन गायन को पेशा बनाया। रमजान खान ने बच्चों को भी बचपन से ही भजन गाना सिखाया। उनके परिवार के प्रत्येक सदस्य को हनुमान चालीसा पूरी तरह याद है।

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बच्‍चों को दिलाई संस्‍कृत की शि‍क्षा

रमजान खान ने बताया कि बगरू के राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत स्कूल में फिरोज खान को प्रवेश दिलाया तो समाज और रिश्तेदारों ने काफी विरोध किया। वे चाहते थे कि घर के पास ही बनी मस्जिद में चलने वाले मदरसे में फिरोज पढ़ाई करे, लेकिन रमजान खान उसे संस्कृत का विद्धान बनाना चाहते थे। करीब दस साल तक रिश्तेदारों ने उनसे संबंध तोड़ लिए।

फिरोज खान मेहनत के बल पर संस्कृत में शिक्षा शास्त्री तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद पहले जयपुर के संस्कृत कॉलेज में पढ़ाने लगा। बाद में संस्कृत विश्‍वविद्यालय में गेस्ट फेकल्टी के रूप में जाने लगा। इसी साल अगस्त माह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हे संस्कृत दिवस पर फिरोज खान को सम्मानित किया। उन्हें शिक्षा विभाग की तरफ से बेस्ट टीचर का अवार्ड भी मिला।

फिरोज की नियुक्ति पर हुआ था बवाल

मुन्ना मास्टर के बेटे फिरोज का बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति की गई थी, इसके बाद छात्रों ने उनकी नियुक्ति का विरोध करना शुरू कर दिया और 7 नवंबर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए थे। यह प्रदर्शन करीब एक महीना चला था। छात्रों का कहना था कि एक गैर-हिंदू शिक्षक संस्कृत संकाय में धार्मिक अनुष्ठान नहीं सिखा सकता। वह अन्य संस्कृत विभाग में भाषा तो पढ़ा सकता है, लेकिन धार्मिक अनुष्ठान नहीं सिखा सकता। इसके बाद फिरोज खान ने पद से इस्तीफा दे दिया और संस्कृत विभाग के कला संकाय में नियुक्ति हुई।

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रमजान ने शादी के कार्ड पर छपवाई गणेश जी की फोटो, बेटी का नाम रखा लक्ष्मी

फिरोज खान के पिता रमजान खान ने बताया कि मैने मेरी बड़ी बेटी का नाम लक्ष्मी रखा तो छोटी बेटी का नाम अनिता रखा। बेटी की शादी में कार्ड पर गणेशजी की फोटो छपवाई। चारों बेटों को संस्कृत की शिक्षा दिलाई। उन्होंने बताया कि फिरोज खान और उसके तीनों भाई बचपन से ही नियमित रूप से मंदिर में जाते हैं। वे प्रतिदिन सुबह मंदिर जाते हैं तो फिर मस्जिद जाते हैं। हमारे परिवार के लिए सभी धर्म समान है।

'पद्मश्री' सम्मान ने भुला दी कड़वी यादें

डा. फिरोज ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पिता को मिले इस मान ने पिछली सारी कड़वी यादों को भुला दिया है। अपने भजनों के माध्यम से पिता ने हमेशा समाज में समरसता की ही बात की और वही संस्कार हम चारों भाइयों को भी दिया। 

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