इंदिरा गांधी हत्याकांड के बाद हुए सिख विरोधी दंगों के तीन दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ने मंगलवार को सबूत एकत्रित करने के लिए कानपुर के एक घर का ताला तोड़ा। इन सबूतों ने मानव अवशेष भी शामिल हैं। कानपुर के गोविंद नगर इलाके में एक नवंबर 1984 कारोबारी तेज प्रताप सिंह (45) और बेटे सतपाल सिंह (22) की हत्या कर दी गई थी। उनके शवों एक कमरों में जला दिया गया था। परिवार के जो लोग बच गए थे वह वहां से भागकर कुछ दिनों तक शरणार्थी शिविर में रहे, फिर पंजाब और दिल्ली में जाकर बस गए। जिन लोगों ने नए घर को खरीदा, वह कभी उन कमरों में नहीं गए जहां हत्याएं हुई थीं। SIT ने जांच नें उन्हें लगभग ऐसा पाया जैसा कि उन्हें किसी ने छुआ भी नहीं हो।
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बताते चलें कि 1984 में कानपुर में दिल्ली के बाद सबसे भयानक दंगे हुए थे, जिसमें 127 लोगों की मौत हुई थी। योगी सरकार द्वारा यह पहली SIT गठित है जोकि उत्तर प्रदेश में 1984 में सिखों के खिलाफ हिंसा जांच कर रही है। तेज सिंह की पत्नी, बेटे और बहू के जाने के बाद घर के साथ लूटपाट की गई थी और फिर इसे आग के हवाले कर दिया था। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ 396 (हत्या के साथ डकैती), 436 (घर को नष्ट करने का इरादा) और और 201 (सबूत नष्ट करना) धाराओं में FIR दर्ज की है।
मंगलवार को SIT, फोरेंसिक टीम के साथ तेज सिंह के पूर्व घर में दाखिल हुई। इस दौरान घटना का चश्मदीद भी मौजूद रहा जोकि उसी इलाके में रहता है। एसआईटी मेंबर एसपी बालेंदु भूषण ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कलेक्ट किए गए नमूनों किसी मानव अवशेष के मालूम पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि हमने पाया कि अपराध की जगह के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं हुई है तो हमने फोरंसिक की टीम को बुलाया, जिससे यह स्थापित हुआ है कि इसी जगह पर हत्याओं को अंजाम दिया गया था।
उन्होंने बताया कि मकान के नए मालिक कथित तौर पहली मंजिल पर ही रहे। उनका दावा है कि ग्राउंड फ्लोर पर बने कमरों को हमेशा बंद रखा, यहां तक कि सफाई के लिए भी कभी उनको नहीं खोला गया।
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बुधवार को SIT ने तेज सिंह के जीवित बेटे चरणजीत सिंह का भी बयान दर्ज कराया जोकि अब 61 साल के हो चुके हैं। इस घटना के बाद वह अपनी पत्नी और मां के साथ दिल्ली चले आए थे। तेज सिंह की पत्नी का कुछ साल पहले निधन हो गया था। एसपी बालेंदु भूषण ने बताया कि चरणजीत सिंह ने छिप कर इस घटना को देखा था। उन्होंने इस में शामिल लोगों के नाम भी बताए।
एसआईटी के अनुसार 1 नवंबर 1984 को भीड़ तेज सिंह के घर दाखिल हो गई थी। परिवार के अन्य सदस्य छिप गए थे। भीड़ ने तेज सिंह और सतपाल सिंह को पकड़ लिया, दोनों की हत्या करने के बाद भीड़ ने घर में उधम मचाते हुए जमकर लूटपाट और तोड़फोड़ को अंजाम दिया था।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले, इस साल जनवरी में SIT ने कानपुर के नौबस्ता इलाके में एक घर से खून के नमूने और आगजनी के सबूत एकत्रित किए थे, यहां सरदुल सिंह और उनके एक रिश्तेदार गुरुदयाल सिंह की हत्या कर दी गई थी और फिर घर को आग के हवाले कर दिया गया था। यहां भी परिजन घटना के बाद घर को उसी स्थिति में बंद करके चले गए थे।
साभार: जनसत्ता
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