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World against Child labour day: जानें, कब और कैसे हुई शुरुआत

12 जून का दिन दुनियाभर में बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसमें छोटे बच्चों की मजदूरी की वजहों, स्थितियों पर चर्चा के साथ उसे रोकने के प्रयासों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ये कार्यक्रम साल 2002 से चले आ रहे हैं लेकिन आज तक इसे पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सका है। आइए जान लेते हैं इस दिन से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।


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बाल श्रम निषेध दिवस का इतिहास

अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) ने पहली बार बाल श्रम रोकने का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद साल 2002 में सर्वसम्मति से एक ऐसा कानून पारित हुआ जिसके तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी करवाना अपराध माना गया। अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) के 187 सदस्य देश हैं। ILO ने विश्व में श्रम की स्थितियों में सुधार के लिए कई सम्मेलनों को पारित किया है। और तो और यह मजदूरी, काम के घंटे, अनुकूल वातावरण इत्यादि मामलों पर भी जरूरी गाइडलाइंस देता रहता है।

1973 में, ILO सम्मेलन संख्या 138 को अपनाकर रोजगार के लिए न्यूनतम आयु पर लोगों का ध्यान केंद्रित किया गया। जिसका मकसद सदस्य राज्यों को रोजगार की न्यूनतम आयु बढ़ाने और बाल मजदूरी को समाप्त करना था। 

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बाल श्रम निषेध दिवस का महत्व

बच्चों के विकास पर आधारित और केंद्रित होता है यह दिन। बाल श्रम की सबसे बड़ी वजह ही गरीबी है। जिससे मजबूर होकर बच्चों को मजदूरी करना पड़ता हैै। गरीबी को पूरी तरह मिटाने में अभी और कई साल लगने वाले हैं लेकिन बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए कई संगठन कोशिश कर रहे हैं और कुछ हद तक कामयाब भी हुए हैं। बच्चे हर देश का भविष्य हैं। ये समझते हुए अपने फ्यूचर के बारे में सोचें और उसे बचाएं।

स्रोत- दैनिक जागरण 

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