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यूपी, एमपी, कर्नाटक, बंगाल... बीजेपी के अंदर क्यों मचने लगा घमासान?

भारतीय जनता पार्टी को पार्टी विद डिफरेंस का तमगा हासिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष और मौजूदा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी में अनुशासन का स्तर नई ऊंचाई को छू लिया। लेकिन, बीजेपी शासित राज्यों से आ रही हालिया खबरें कुछ अलग ही कहानी बयां कर रही है। वो चाहे उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ हों या मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान या फिर कर्नाटक के चीफ मिनिस्टर बीएस येदियुरप्पा- बीजेपी के इन सभी मुख्यमंत्रियों की छवि को बट्टा लगाने वाली खबरों का सिलसिला से चल पड़ा है।


उधर, प. बंगाल विधासभा चुनाव के मनोनुकूल परिणाम नहीं मिलने के बाद तृणमूल कांग्रेस (TMC) छोड़कर बीजेपी का रुख किए दिग्गज प्रादेशिक नेताओं को लेकर भी तमाम तरह की अटकलें लगने लगी हैं। मुकुल राय और राजीब बनर्जी के बारे में तो चर्चा यहां तक पहुंच गई है कि दोनों घर वापसी पर विचार कर रहे हैं। आखिर, ऐसा क्यों है कि एक खास टाइम पीरियड में बीजेपी के अंदर इतनी ज्यादा उठापटक की खबरें आने लगी हैं, वो भी अचानक?

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यूपी में योगी को लेकर छिड़ी बड़ी बहस

सबसे पहले बात उत्तर प्रदेश की। 5 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन पर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से बधाई नहीं दिए जाने के बाद अटकलों का बाजार गर्म हो गया कि योगी का स्टाइल मोदी-शाह ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक धड़े को भी नहीं भा रहा है। कहा जा रहा है कि बीजेपी 2022 के विधानसभा चुनाव में योगी को किनारे करने पर विचार कर रही है, लेकिन उसके सामने भारी उहापोह का संकट है। योगी की मजबूत हिंदुत्ववादी छवि ने उन्हें एक हद तक बीजेपी की मजबूरी बना दी है तो दूसरी तरफ इससे सीधे प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती मिल रही है। उधर, पार्टी के विधायकों में ही योगी के प्रति बढ़ते आक्रोश के दावे भी जोर पकड़ते जा रहे हैं।

दिसंबर 2019 में ही पार्टी के 200 विधायकों ने विधानसभा में धरना दे दिया था। तब गाजियाबाद के लोनी से विधायक नंद किशोर गुर्जर के नेतृत्व में विधायकों का बड़ा जत्था मुखर हो गया था। अब भी कई विधायक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तौर-तरीकों से काफी खफा हैं। कोई पुलिस-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर तो कोई ब्राह्मणों के प्रति भेदभाव तो कोई विधायकों के अधिकारों की नजरअंदाजी का मुद्दा उठाकर अपनी ही सरकार को घेरने में जुटा है। नाराज विधायकों में कई खुलकर मीडिया में बयान दे रहे हैं तो कुछ ने सोशल मीडिया का सहारा ले रखा है जबकि कुछ अन्य सामने न आते हुए भी योगी सरकार के खिलाफ हवा बना रहे हैं। ऐसे नेताओं में गोरखपुर सदर के विधायक डॉ. राधा मोहन दास से लेकर, सुल्तानपुर विधायक देवमणि द्विवेदी, सीतापुर शहर से विधायक राकेश राठौर, गोपामाऊ के विधायक श्याम प्रकाश आदि शामिल हैं।

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एमपी में 'मामा' शिवराज से अपने ही नाराज

अब बात मध्य प्रदेश की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोरोना की दूसरी लहर के मैनेजमेंट को लेकर पार्टी के अंदर ही घिर गए। ताजा लहर से राहत मिलते देख जब शिवराज सरकार ने ऑड-ईवन फॉर्म्युले पर अनलॉक की प्रक्रिया का ऐलान किया तो बीजेपी के विधायकों ने ही सवाल खड़े कर दिए। सतना जिले के मैहर से पार्टी विधायक नारायण त्रिपाठी ने अनलॉक पॉलिसी के विरोध में सीएम को पत्र तक लिख दिया। यहां तक कि प्रदेश बीजेपी के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भी सरकार से कड़ा सवाल पूछ लिया।

स्रोत-नवभारत टाइम्स 

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