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आईसीएमआर-एम्स के डॉक्टर बोले दोनों लहर में 40 साल से ऊपर उम्र के लोगों में संक्रमण ज्यादा

देश में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव और एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने आज (19 अप्रैल) प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कोरोना वायरस की दूसरी लहर, उसके लक्षण, वैक्सीन के बारे में तमाम जानकारियां दीं। साथ ही, बताया कि लोगों को कोरोना से बचाव के लिए क्या-क्या तरीके अपनाने चाहिए। इस दौरान अमर उजाला ने अपने पाठकों की चिंताओं को दूर करने के लिए कई अहम जानकारियां हासिल कीं। इस रिपोर्ट में आप कोरोना से संबंधित हर सवाल का जवाब हासिल कर सकते हैं।


क्या है डबल म्यूटेंट और इसके लक्षण?

डॉ. भार्गव ने कहा कि भारत में कोरोना का डबल म्यूटेंट वैरिएंट मिला है। हालांकि, अब तक यह सामने आया है कि वह ज्यादा संक्रामक नहीं है। फिलहाल, वर्तमान लक्षणों को देखते हैं तो वे ज्यादा गंभीर नहीं हैं। कोरोना की दूसरी लहर में सांस फूलने के मामले सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं। इसके अलावा सूखी खांसी, जोड़ों में दर्द और सिरदर्द आदि लक्षण भी हैं। 


संक्रमण के दायरे में किस उम्र के लोग?

आईसीएमआर के महानिदेशक के मुताबिक, कोरोना की दोनों लहर में सामने आए मामलों पर नजर डालें तो 40 साल से ज्यादा उम्र के लोग अधिक संक्रमित हुए हैं। दोनों ही लहर के आंकड़ों में कोई अंतर नहीं है। दोनों ही लहर में 70 फीसदी से ज्यादा मरीज 40 साल से ज्यादा उम्र के मिले। 

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रेमडेसिविर पर भी दूर किया संशय

डॉ. गुलेरिया ने बताया कि रेमडेसिविर सिर्फ इमरजेंसी ड्रग के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। लोगों को यह समझने की जरूरत है कि यह दवा मृत्यु दर कम नहीं करती है। इसे सिर्फ अस्पताल में भर्ती लोगों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं, डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि आरटी-पीसीआर टेस्ट गोल्ड स्टैंडर्ड है। इसमें दो या उससे अधिक जीन की जांच होती है। ऐसे में कोरोना वायरस के किसी भी म्यूटेंट का बचना संभव नहीं है। 

पहली लहर में ऐसे थे हालात

नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ. वीके पॉल ने बताया कि महामारी की पहली लहर के दौरान 30 साल से कम उम्र के 31 फीसदी लोग संक्रमित थे, जबकि दूसरी लहर में 32 फीसदी लोग संक्रमण का शिकार हुए हैं। वहीं, 30 से 45 साल की उम्र के बीच के 21 फीसदी लोग पिछली लहर में महामारी की चपेट में आए थे। फिलहाल, युवाओं में संक्रमण की दर नहीं बढ़ी है।

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कोरोना वैक्सीन देने का सही तरीका क्या?

बातचीत के दौरान डॉ. गुलेरिया ने कोरोना से बचाव के टिप्स भी दिए। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल के कोविड मैनेजमेंट के दो महत्वपूर्ण बातें हम लोगों ने सीखीं। पहली कोरोना से लड़ने की दवा और दूसरों दवा देने का समय। अगर आप दवा पहले या बाद में देते हैं तो वह नुकसान पहुंचा सकती है। एक ही दिन में दवाओं का कॉकटेल देने से मरीज की मौत हो सकती है या उसकी हालत काफी ज्यादा बिगड़ सकती है। 


प्लाज्मा थेरेपी की सीमित भूमिका : डॉ. गुलेरिया

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि अध्ययनों से पता चलता है कि प्लाज्मा थेरेपी की सीमित भूमिका है और इसका अधिक उपयोग नहीं होता। 2 फासदी से कम कोरोना रोगियों को Tocilizumab की आवश्यकता होती है जिनका कि इन दिनों बहुत उपयोग किया जा रहा है।   

 

स्टेरॉयड के उपयोग पर बोले डॉ. गुलेरिया

स्टेरॉयड के उपयोग को लेकर डॉ. गुलेरिया ने कहा कि हल्के लक्षण वाले रोगियों को इसके प्रयोग से बचने की जरूरत है नहीं तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है।


दूसरी लहर में 13 फीसदी अधिक ऑक्सीजन का उपयोग हो रहा है: बलराम भार्गव

आईसीएमआर (icmr) के डीजी बलराम भार्गव ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में 13 फीसदी अधिक ऑक्सीजन का उपयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि पहली लहर में(41.10 फीसदी) तो वर्तमान लहर में 54.5 फीसदी ऑक्सीजन का उपयोग हो रहा है। वहीं  ऑक्सीजन की अपेक्षा वेंटीलेटर की आवश्यकता बहुत कम है। उन्होंने कहा कि यांत्रिक वेंटिलेशन की आवश्यकता 27 फीसदी(वर्तमान) बनाम 37 फीसदी(पहले) है।

स्रोत-अमर उजाला 


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