Banner

इस श्मशान घाट में दो महिलाएं करती हैं अंतिम संस्कार, जान कर हो जाएंगे हैरान । श्मशान के हालात

 

हिन्दू धर्म में हमने पुरुषों को ही अंतिम संस्कार करते देखा या सुना है क्योंकि हिंदू धर्म में महिलाएं श्मघाट नहीं जाती हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश में एक श्मशान घाट ऐसा है, जहाँ महिलाएं अंतिम संस्कार करती हैं। इस अंतिम संस्कार से मिलने वाले पैसों से वे अपने परिवार और बच्चों का पेट पालती हैं।


यह श्मशान घाट जौनपुर के गंगा-गोमती के तट पर है, जहाँ प्रतिदिन आसपास के कई गांवों के तकरीबन 8-10 शवों का दाह संस्कार किया जाता है। इन शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी यहाँ की दो विधवा महिलाओं की है, जो शव को आखिरी तक जलाती हैं। इसके बदले में उन्हें मृतक के परिवार से 100-200 और कभी कभी 500 रुपए मिलते हैं। इन्हीं रुपयों से वे अपने बच्चों और परिवार का खर्चा चलाती हैं।


लोगों के विरोध सहे, लेकिन डटी रहीं 
जब इन दो विधवा महिलाओं ने शवों को जलाने का काम शुरू किया तो परिवार और गांव के लोगों ने उनका जमकर विरोध किया। जब लोग शव को लेकर श्ममान पहुंचते थे तो युवतियों को देखकर खरी-खोटी सुनाने लगते थे। शुरुआती तौर पर होने वाला यह विरोध धीरे धीरे ठंडा हो गया।


उन्हें यह काम करने में कोई पछतावा नहीं है 
महरीता नाम की महिला के पति के निधन के बाद घर में भूखे मरने की नौबत आ गई। छोटे बच्चे भूख से बिलखते रहते, लेकिन वह उनको भरपेट खाना तक नहीं खिला पाती थी। जब कमाई का कोई सहारा नहीं बचा तो उसने यह रास्ता अपना लिया।
वहीं दूसरी महिला सरिता ने भी मजबूरी में आकर यह रास्ता अपनाया। उसने कहा कि उनका 8 साल का बेटा और दो बेटियां हैं, जिन्हें वह पढ़ा-लिखा रही हैं। 
महिलाओं ने बताया कि पति की मौत के बाद आजीविका का कोई सहारा नहीं है। स्वाभिमान से जीने के लिए उन्होंने इस पेशे को चुना है, जिससे किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े।

#shamshaanghat #shamshan #kabristan #Crematorium  #Cemetery  #Graveyard  #Necropolis  #Sheol

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ