विजया राजे सिंधिया को ग्वालियर की राजमाता के रूप में जाना जाता था। विजयाराजे सिंधिया का जन्म 12 अक्टूबर 1919 को सागर, मध्य प्रदेश के राणा परिवार में हुआ था। इनके पिता नाम श्री महेन्द्रसिंह ठाकुर था और विजयाराजे सिंधिया की माता नाम श्रीमती विंदेश्वरी देवी थीं। उनके पिता जालौन ज़िला के डिप्टी कलैक्टर थे।
इनका विवाह 21 फ़रवरी, 1941 में ग्वालियर के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया से हुआ था। भारत के विशालतम और संपन्नतम राजे-रजवाड़ों में से ग्वालियर एक था। उस रियासत के महाराजा के साथ उनका विवाह हुआ था। विजयाराजे के बेटे नाम माधवराव सिंधिया, बेटी का नाम वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया हैं। विजयाराजे सिंधिया का विवाह के पहले का नाम ‘लेखा दिव्येश्वरी’ था।
राजमाता का मध्य प्रदेश की राजनीति में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान है। 1967 में मध्य प्रदेश में सरकार गठन में उन्होंने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। विजया राजे सिंधिया का सार्वजनिक जीवन प्रभावशाली और आकर्षक था, वह हमेशा दिन-दुखियों की मदद करने के लिए आगे रही।विजया राजे सिंधिया के पुत्र माधवराव सिंधिया, पुत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया हैं। अपने पति की मृत्यु के बाद सन् 1962 में कांग्रेस के टिकट पर वे संसद सदस्य बनीं। पांच साल के बाद अपने सैद्धांतिक मूल्यों के कारण वे कांग्रेस छोड़कर जनसंघ में शामिल हो गईं। एक राज परिवार से रहते हुए भी वे अपनी ईमानदारी, सादगी और प्रतिबद्धता के कारण पार्टी में सर्वप्रिय बन गईं। शीघ्र ही वे पार्टी में शक्ति स्तंभ के रूप में सामने आईं।विजया राजे सिंधिया आपातकाल के दौरान जेल में भी रही।
1998 से राजमाता का स्वास्थ्य ख़राब रहने लगा और 25 जनवरी, 2001 में राजमाता विजया राजे सिंधिया का निधन हो गया।
0 टिप्पणियाँ