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क्या किया जाता है, उस फंदे का जिससे दी जाती है फांसी

 

नई दिल्ली : वर्ष 2012 में निर्भया गैंगरेप और मर्डर के बाद अब आखिरकार उसके गुनहगारों को फांसी की सजा देनें का दिन नज़दीक आ गया है. ख़बरों की माने तो सारी तैयारियां हो चुकी है फांसी के फंदे तैयार हो चुके हैं.

लेकिन क्या आपके दिमाग में कभी सवाल आया है कि फांसी के बाद क्या होता है उस रस्सी का जिससे फंदा बनाकर मौत दी जाती है.

इस रस्सी के साथ क्या किया जाता है इसे लेकर कई तरह के अंधविश्वास प्रचलित हैं. ब्रिटेन में जब फांसी दी जाती थी तो इस रस्सी को जल्लाद को दे दिया जाता था. ना जाने कैसे ये बात ब्रिटेन में प्रचलित हो गई कि अगर कोई इस रस्सी का टुकड़ा घर पर रख ले आय या उसका लॉकेट पहन ले तो उसकी किस्मत बदल सकती है.

इतिहास में ये उल्लेख मिलता है कि ब्रिटेन में जल्लाद इन रस्सी के टुकड़े करके उसे बेच देते थे और लोग खुशी खुशी उन्हें खरीदते थे. गौरतलब है कि 1965 में ब्रिटेन में फांसी पर रोक लगा दी गई.

भारत में ये रस्सी जल्लाद को ही दे दी जाती है या जल्लाद इसे ले जाता है. कई देशों में इस रस्सी को कई छोटे टुकड़ों में काटकर कारागार के डेथ स्क्वॉड को दे दिया जाता है, जिसमें बड़े अधिकारियों से लेकर निचले स्तर तक के गार्ड तक शामिल रहते हैं.

भारत में इस रस्सी को लेकर और कहीं बेशक अब तक अंधविश्वास नहीं सुना गया लेकिन वर्ष 2004 में जब नाटा मल्लिक जल्लाद ने रेप और मर्डर के दोषी धनंजय चटर्जी को फांसी पर लटकाया था तो उसने इस रस्सी के टुकड़ों से बहुत कमाई की थी. मल्लिक फांसी की रस्सी से लॉकेट बेचने लगा.

दरअसल बंगाल में ना जाने कैसे ये अंधविश्वास फैल गया कि फांसी की रस्सी का लॉकेट पहनने से किस्मत पलट जाती है. अगर आपके पास नौकरी नहीं है तो रोजगार मिल जाता है. अगर कर्ज में दबे हैं तो इससे छुटकारा मिल जाएगा. बेहतर दिन शुरू हो जाएंगे. व्यापार में घाटा हो रहा है तो किस्मत बदल जाती है.

जब अफवाह कोलकाता में फैलने लगी तो नाटा मल्लिक के घर के आगे लॉकेट की रस्सी लेने वालों की भीड़ लगने लगी.कोलकाता के डेथ पेनल्टी एसोसिएशन ने इस पर एक्शन लिया और इसे अंधविश्वास तो कहा ही साथ ही ये भी कहा कि जल्लाद को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है. कोलकाता के मंदिरों में भी इसका बहुत विरोध हुआ.


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