श्री कृष्ण जरासंध के बार बार मथुरा पर हमला करने से मथुरा वसियों को सुखी रखने के लिए मथुरा छोड़कर जाने की सोच लेते हैं। मथुरा को छोड़ने से पहले श्री कृष्ण विश्वकर्मा को बुलाते हैं और उनसे द्वारिका का निर्माण करने के लिए आदेश देते है। विश्वकर्मा जी समुद्र राज रत्नाकर से द्वारिका नगर बसाने के लिए भूमि माँगते हैं। समुद्र राज अपने जल को पीछे हटा कर विश्वकर्मा को भूमि दे देते हैं। विश्वकर्मा जी द्वारिका का निर्माण कर देते हैं। इंद्र देव विश्वकर्मा जी से विनती करते हैं की उनकी राज सभा के भवन को द्वारिका में स्थापित कर दे। कुबेर जी अपना अक्षय पत्र द्वारिका के ऊपर रखने का आग्रह करने आते हैं जिसे विश्वकर्मा माँ लेते हैं। विश्वकर्मा द्वारिका का निर्माण करने के पश्चात श्री कृष्ण को सौंप देते हैं। अक्रूर जी को श्री कृष्ण बुलाते हैं और उन्हें मथुरा वसियों को द्वारिका तक ले जाने की तैयारी करने को कहते हैं। मथुरा को चारों ओर जरासंध और उसके साथी और उनकी सेना घेर लेते हैं।
- Home
- न्यूज़
- _ट्रेंडिंग न्यूज़
- _राजनीति
- _जनसम्पर्क विभाग
- _व्यापार
- _खेल
- _राष्ट्र
- _सिनेमा
- _ऑटो/टेक
- _Press Release
- कम्बख्त जेल
- शान-ए-किसान
- 2030KABHARAT
- ट्रूपल पहल
- _उज्जैन पवित्र नगरी
- _घुमन्तु समाज
- _श्मशान घाट
- _विचित्र किन्तु सत्य
- वीडियो
- _वायरल
- _ETBT
- _Netaji kahin
- इवेंट
- _#yaadein2020
- _Open Mic 4.0
- _This is SHE
- _आत्मनिर्भर युवा
- _करियर खोज
- एजुकेशन/जॉब
- रोचक
- धर्म
0 टिप्पणियाँ