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पानी में डूबी द्वारका नगरी की कहानी | The lost city of Dwarka|


श्री कृष्ण जरासंध के बार बार मथुरा पर हमला करने से मथुरा वसियों को सुखी रखने के लिए मथुरा छोड़कर जाने की सोच लेते हैं। मथुरा को छोड़ने से पहले श्री कृष्ण विश्वकर्मा को बुलाते हैं और उनसे द्वारिका का निर्माण करने के लिए आदेश देते है। विश्वकर्मा जी समुद्र राज रत्नाकर से द्वारिका नगर बसाने के लिए भूमि माँगते हैं। समुद्र राज अपने जल को पीछे हटा कर विश्वकर्मा को भूमि दे देते हैं। विश्वकर्मा जी द्वारिका का निर्माण कर देते हैं। इंद्र देव विश्वकर्मा जी से विनती करते हैं की उनकी राज सभा के भवन को द्वारिका में स्थापित कर दे। कुबेर जी अपना अक्षय पत्र द्वारिका के ऊपर रखने का आग्रह करने आते हैं जिसे विश्वकर्मा माँ लेते हैं। विश्वकर्मा द्वारिका का निर्माण करने के पश्चात श्री कृष्ण को सौंप देते हैं। अक्रूर जी को श्री कृष्ण बुलाते हैं और उन्हें मथुरा वसियों को द्वारिका तक ले जाने की तैयारी करने को कहते हैं। मथुरा को चारों ओर जरासंध और उसके साथी और उनकी सेना घेर लेते हैं।


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