माँ बगलामुखी जन्मोत्सव विशेष
सनत्कुमार आदि चारों ऋषि-बालक नित्य हरि-शरणम् का जप करते हैं , आपस में सत्संग करते हैं , उनमें वैराग्य है , उन्हें किसी बाह्य-वस्तु की आवश्यकता नहीं है । वे आपस में संघर्ष भी नहीं करते हैं , वे केवल हरि चर्चा करते हुए मानव जाति का हित सोचते हैं , वे छोटे-बड़े का भेद नही करते ।
भगवान शिव का हरिहरात्मक रूप
भगवान् के इस अवतार का संदेश यह है कि समूह में, परिवार में एकमत से रहना चाहिये , समूह या परिवार में समन्वय और सामंजस्य ही बुद्धि की परिपक्वता है , इसीसे हमारे परिवार में शांति - एकता -भाईचारा संभव है तथा तभी सह-अस्तित्व स्थायी हो सकता है ।
इस शिक्षा के प्रसारार्थ भी निराकार परमात्मा साकार होने पर सनकादिक रूप में अनेक हो जाते हैं ।
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