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2030 का भारत - दूसरे चरण का उद्देश्य होगा शून्य भुखमरी

 


ये तीन शब्द जीवन का आधार मने जाते हैं: रोटी, कपड़ा और मकान, जिसमें से सबसे जरुरी एक इंसान के लिए रोटी ही है। आज अगर दुनियाभर की बात की जाये तो हर व्यक्ति का पेट भरने लायक पर्याप्त भोजन होने के बावजूद हर दस में से दो व्यक्ति भूखे रह जाते हैं। यह इसलिए क्योंकि हम भोजन के महत्व को समझना ही नहीं चाहते हैं। एक किसान को अनाज उगाने में महीनों का समय और परिश्रम लगता है और हम हैं कि क्षण भर नहीं लगाते उसे थाली में छोड़ देने में। इस बात पर मैं बहुत बड़ी बात कहना चाहूँगा कि रोटियाँ सिर्फ उन्हीं कि थालियों से कूड़े तक जाती हैं, जिन्हें ये नहीं पता होता कि भूख क्या होती है। ये कटु है पर सत्य हैं।

#2030 के भारत के सतत विकास के महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक लक्ष्य है शून्य भुखमरी। भुखमरी तथा कुपोषण मिटाना, विशेषकर गरीबों तथा लाचार लोगों को पौष्टिक तथा पर्याप्त भोजन सुलभता से प्राप्त कराना इस लक्ष्य का आधार है। इसके अंतर्गत कुपोषण को हर रूप से मिटाने के लिए 5 वर्ष से छोटे बच्चों में बौनेपन और क्षीणता के बारे में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहमत लक्ष्य 2025 तक हासिल करना शामिल है। इसके अलावा किशोरियों, गर्भवती एवं स्तनपान कराती माताओं तथा वृद्धजनों की पोशाहार की जरूरतों को पूरा करना, खेती की उत्पादकता और खासकर महिलाओं, मूल निवासियों, पारिवारिक किसानों, चरवाहों और मछुआरों सहित लघु आहार उत्पादकों की आमदनी को दोगुना करना, टिकाऊ आहार उत्पादन प्रणालियाँ सुनिश्चित करना और खेती की ऐसी जानदार विधियाँ अपनाना जिनसे उत्पादकता औऱ पैदावार बढ़े, पारिस्थितिक प्रणालियों के संरक्षण में मदद मिले, जलवायु परिवर्तन, कठोर मौसम, सूखे, बाढ़ और अन्य आपदाओं के अनुरूप ढ़लने की क्षमता मजबूत हो और जिनसे जमीन एवं मिट्टी की गुणवत्ता में निरंतर सुधार हो। इस लकया में खाद्य जिन्स बाजार और उनके डेरिवेटिव्स के सही ढ़ंग से संचालन के उपाय अपनाना और सुरक्षित खाद्य भंडार सहित बाजार की जानकारी समय से सुलभ कराना भी शामिल है जिससे खाद्य वस्तुओं के मूल्यों में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव को सीमित करने में सहायता मिल सके।

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