हर कोई आकर उस मजार पर चादर चढ़ा गया
जिसके बहार बैठा एक फकीर ठण्ड से मर गयाजी हाँ, यह कड़वा है पर सच है। आज हमारे देश के हालात कुछ ऐसे ही हैं। आस्था और अंधविश्वास से भरे लोग सिर्फ खुद के प्रति प्यार रखने लगे हैं, दूसरों के काम आना तो अब खयालों में ही सच लगता है। आज भी हमारे देश में हजारों-लाखों लोग ऐसे हैं जिनके पास तन पर पहनने के लिए कपड़ा और खाने के लिए रोटी नहीं है। अगर हम अपनी सोच में बदलाव लाकर मंदिर-मस्जिद में इतना चढ़ावा चढाने के बजाये गरीबों के काम आने लगे तो कुछ ही सालों में गरीबी और लाचारी का आँकड़ा आधे से भी कम हो जायेगा।
गरीबी सिर्फ आमदनी या संसाधनों की सुलभता का अभाव नहीं है। यह शिक्षा के अवसरों और सामाजिक भेदभाव में बढ़ोतरी के लिए भी जवाबदार है। गरीबी के हर रूप को जड़ से मिटा देना भारत की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं का मूल मंत्र है और #2030 के भारत के सतत विकास का पहला लक्ष्य है। इस लक्ष्य में यह सुनिश्चित किया गया है कि सभी लोगों खासकर गरीब तथा लाचारी की स्थिति में जी रहे लोगों को आर्थिक संसाधनों और प्राकृतिक संसाधनों पर सामान अधिकार और कार्य करने कि शक्ति का नवाचार मिले। इसके साथ ही, बुनियादी सेवाओं, उपयुक्त नई टेक्नोलॉजी तथा सूक्ष्म वित्त सहित वित्तीय सेवाएँ सुलभ करना भी इस लक्ष्य का हिस्सा है। भारत सरकार की अनेक प्रगतिशील नीतियाँ हैं। इनमें विश्व की सबसे बड़ी रोजगार ग्यारंटी योजना, महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार ग्यारंटी योजना और राष्ट्रीय सामाजिक सहायता योजना शामिल हैं।


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