हम बेशक थल पर रहते हैं लेकिन महासागरों के हम पर किए जाने वाले परोपकारों का कर्ज चुकता करने के बारे में सोचना भी हमारे लिए कठिन है। महासागरों पर हमारी निर्भरता कल्पना से परे है। इंसान की पैदा की हुई करीब 30% कार्बन डाइऑक्साइड महासागर ग्रहण कर लेते हैं यानी विश्व की गर्म होती जलवायु का असर कम करते हैं। वे दुनिया में प्रोटीन के सबसे बड़े स्रोत भी हैं। हमारी वर्षा का जल, पेयजल, मौसम, जलवायु, तट रेखाएं, हमारा अधिकतर भोजन और जिस हवा में हम सांस लेते हैं उसकी ऑक्सीजन भी अंतत: सागर से आती है।
पृथ्वी की सतह के तीन चौथाई हिस्से में महासागर हैं जिनमें पृथ्वी का 97% जल है और जो परिमाण के हिसाब से पृथ्वी पर जीने की 99% जगह घेरे हुए हैं। 3 अरब से अधिक लोग अपनी आजीविका के लिए समुद्री और तटीय जैव विविधता पर निर्भर हैं। बिना निगरानी के मछली की पकड़ के कारण मछली की बहुत सी प्रजातियां तेजी से गायब हो रही हैं और वैश्विक मछली पालन और उससे जुड़े रोजगार को बचाने तथा पुराने रूप में वापस लाने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न हो रही है। दुनिया के लगभग 40% महासागर प्रदूषण, घटती मछलियों तथा तटीय पर्यावास के क्षय सहित इंसानी गतिविधियों से बुरी तरह प्रभावित हैं।
यदि हम भारत की बात करें तो भारत की एक-तिहाई से अधिक यानी 35% जनसंख्या उसकी विशाल तट रेखा पर रहती है और इसमें से करीब आधे तटीय क्षेत्रों का कटाव हो रहा है। समुद्र तट पर स्थित भारत के 3651 गांवों में 10 लाख से अधिक लोग समुद्र से मछली पकड़ने के रोजगार में लगे हैं। भारत दुनिया में मछली का सबसे बड़ा उत्पादक और अंतर-देशीय मछली का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत सरकार की सागर माला परियोजना नीली क्रांति भी कहलाती है। इसके अंतर्गत भारत बंदरगाहों और तटवर्ती क्षेत्रों की हालत सुधारने का काम चल रहा है। समुद्री पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए सरकार ने जलीय पारिस्थितिकी संरक्षण की राष्ट्रीय योजना शुरू की है। भारत तटीय और समुद्री जैव विविधता के संरक्षण पर प्रमुखता से ध्यान दे रहा है।
#2030 के भारत के जलीय जीवों की सुरक्षा लक्ष्य का उद्देश्य समुद्री मलबे और पोषक तत्वों के दूषण सहित जमीन पर होने वाली गतिविधियों के कारण हर तरह के समुद्री प्रदूषण की रोकथाम और उसमें उल्लेखनीय कमी करना, मछली की पकड़ और सीमा से अधिक मछली निकालने, अवैध, बिना बताए और बिना किसी नियमन के मछली पकड़ने पर रोक लगाना, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप तथा सर्वोत्तम उपलब्ध वैज्ञानिक सूचना के आधार पर कम से कम 10% तटीय और समुद्री क्षेत्रों का संरक्षण करना तथा महासागरों के अम्लीकरण का प्रभाव कम से कम और दूर करना तथा इसके लिए सभी स्तरों पर वैज्ञानिक सहयोग बढ़ाना शामिल है।
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