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2030 का भारत - देश में सस्ती तथा प्रदुषण-मुक्त ऊर्जा पहुँचाना ही है सातवाँ लक्ष्य

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 ऊर्जा वह सुनहरी डोर है जिसके चलते जीवन यापन करना लगभग बहुत आनंदमय और आसान हो गया है। आज ऊर्जा के क्षेत्र में भारत नई नई सफलताएँ और नए मुकाम हासिल कर रहा है। ऊर्जा क सुगम साधनों के चलते आधुनिक तकनीकियों को अपनाने में काफी वृद्धि हुई है, जो हमारे देश के लिए दृढ़ता का विषय है। आज दुनिया के सामने मौजूद लगभग हर चुनौती और अवसर, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, अनाज उत्पादन, नौकरी या बढ़ती आमदनी में ऊर्जा प्रमुख भूमिका निभाती है। सतत ऊर्जा अवसर पैदा करती है, साथ ही जीवन, अर्थव्यवस्था और पृथ्वी का कायाकल्प करती है। 
हमारे दैनिक जीवन में खाना पकाने, बिजली उत्पन्न करने, कारखानों को चलाने तथा वाहनों के लिए ऊर्जा का अत्यंत महत्व है, जिसे हम ज्यादातर ईंधनों से प्राप्त करते हैं। पृथ्वी में संचित कोयला तथा पेट्रोलियम लम्बे समय से हमारी आवश्यकताओं को पूरा करते रहे हैं। ये अनवीकरणीय स्त्रोत अभी भी धरती की गहराई में विद्यमान हैं। लेकिन एक बार इनका प्रयोग कर लेने के बाद पुनः उपयोग नहीं किया जा सकता है। कोयला तथा पेट्रोलियम जैसे जीवाश्मी ईंधन के निरंतर उपयोग से भविष्य में ये समाप्त हो जाएंगे, साथ ही ये प्रदुषण का कारण भी है। इस हेतु यह आवश्यक है कि हम ऐसी ऊर्जा का उपयोग करें जो नवीकरणीय है। सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा प्रत्यक्ष रूप से सभी ऊर्जाओं का कारण बनती है। इसी ऊर्जा का रूपांतरण अन्य सभी ऊर्जाओं की आधारशिला है। पवन, जल, सौर, बायोमास तथा भूतापीय ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा कभी खत्म नहीं होती और प्रदूषण मुक्त होती है। जिस प्रकार हमारी आवश्यकताएं निरंतर बढ़ रही हैं, इन्हें पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों के उपयोग में वृद्धि अति आवश्यक है ताकि भविष्य में ऊर्जा संकटों का सामना न करना पड़े।  
#2030 के भारत के सतत विकास के सांतवे लक्ष्य में यह सुनिश्चित किया गया है कि 2030 में सम्पूर्ण भारत में सस्ती, विश्वसनीय और आधुनिक ऊर्जा सेवाओं की सुलभता सुनिश्चित की जाये, वैश्विक ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाई जाये, ऊर्जा किफायत में सुधार की वैश्विक दर दोगुनी की जाये, और प्रदूषण मुक्त ऊर्जा अनुसंधान और प्रौद्योगिकी सुलभ कराने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाया जाये।

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