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‘साइना’ के लिए एक एथलीट का किरदार निभाने पर खुलकर बोलीं परिणीति चोपड़ा


फिल्म ‘साइना’, दृढ़ निश्चय, सपनों और लगन की कहानी है, जिसने देश भर के लोगों को अपने सपनों की दिशा में पहला कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। यह फिल्म हरियाणा की एक लड़की के जीत के जज़्बे का जश्न मनाती है, जो ओलंपिक में पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनी। ज़ी सिनेमा पर 25 जुलाई को दोपहर 12 बजे देखिए फिल्म ‘साइना’ का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर, जो हर उस शख्स के लिए देखने लायक है, जिसमें अपने सपने पूरे करने का जुनून है। टैलेंटेड एक्ट्रेस परिणीति चोपड़ा ने इसमें साइना की लीड भूमिका निभाई है। परिणीति ने इस मौके पर इस फिल्म की तैयारी और इस सफर के दौरान सीखी गई बातों के बारे में खुलकर चर्चा की। 

1. एक स्पोर्ट्स बायोपिक के लिए ट्रेनिंग करना सबसे मुश्किल होता है। साइना के लिए ट्रेनिंग के दौरान आपका सफर कैसा रहा?

यह निश्चित रूप से एक चुनौती थी, क्योंकि स्कूल में मेरा झुकाव पढ़ाई और रचनात्मक चीजों की तरफ ज्यादा था। अपने रोल को बखूबी निभाने के लिए मुझे एक एथलीट की तरह सोचना पड़ा। मैंने एक बेहतरीन शटलर की बॉडी लैंग्वेज और टेक्निक को समझने के लिए काफी ट्रेनिंग की। साइना के साथ-साथ मुझे कोचिंग देने वाली टीम भी बहुत अच्छी थी और मैं इस बात की आभारी हूं कि उन्होंने मुझे पूरे समय इतना सपोर्ट किया। मुझे बैडमिंटन की बारीकियां समझने में 6 महीने लग गए और उसके बाद ही मैं सेट पर गई। मेरे उत्साह और मेरी घबराहट ने इस पूरे अनुभव को बेहद यादगार बना दिया।

2. साइना के जीवन से आपने सबसे खास बात क्या सीखी?

उनकी जिंदगी में कूट-कूटकर दृढ़ निश्चय भरा है। उनके लचीलेपन और अटूट हौसले ने पूरे देश को प्रेरित किया है। इस फिल्म ने मुझे एक व्यक्ति के रूप में साइना के बारे में कुछ और जानने का मौका दिया। एक एथलीट की कुशलता के अलावा, उसकी मानसिकता उसका‌ एक बेमिसाल हथियार होता है। वो जूझने का हौसला, वो लगन और कभी हार ना मानने वाला जज़्बा कुछ ऐसी खूबियां हैं, जिनसे मैं प्रेरित हूं।

3. इस फिल्म में साइना का परिवार, उनके कोच और दोस्त उनके मजबूत सपोर्ट सिस्टम थे। आपकी जिंदगी में आपका निरंतर सपोर्ट कौन हैं?

मेरी फैमिली मेरे प्रोत्साहन का निरंतर स्रोत है। मुझे वाकई यह एहसास हुआ कि जिंदगी में परिवार कितना महत्वपूर्ण है, और महामारी के दौरान मुझे यह बात भली-भांति समझ आई। यहां तक कि जब चीज़ें मुश्किल नजर आती हैं और आप उम्मीद खोने लगते हैं तो हमारे परिवार और दोस्त ही हमें उस निराशा से बाहर लाते हैं। लंबे समय में यही निस्वार्थ प्यार और लगातार सपोर्ट ही हमारी ढाल बन जाता है और हम निडर होकर हर लड़ाई लड़ पाते हैं।

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