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WTC Final : विराट कोहली सोच रहे हैं- वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में मैदान में उतार दें भारत का रॉकस्टार

2 जून को इंग्लैंड पहुंचने के बाद विराट कोहली (Virat Kohli) और रवि शास्त्री (Ravi Shastri) का दिमाग दौड़ना तेज हो गया होगा. कहीं बाहर आने-जाने की मनाही है इसलिए क्रिकेट के बारे में सोचने के अलावा और कुछ काम है भी नहीं. दोनों की नजर इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड के बीच टेस्ट सीरीज पर भी होगी. लॉर्ड्स में पहला टेस्ट मैच बगैर किसी नतीजे के खत्म हुआ. जिसमें न्यूज़ीलैंड के लिए डेवॉन कॉन्वे ने दोहरा शतक लगाया. टिम साउदी ने 7 विकेट लिए. इस मैच से न्यूज़ीलैंड की टीम की तैयारी और इस मौसम में पिच के मिजाज के कुछ संकेत तो मिले ही होंगे. अभी ऐसे जरूरी संकेतों को बटोरने का एक मौका और है. इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड की टीम 10 जून से बर्मिंघम में दूसरा टेस्ट मैच खेलेगी.



इसके बाद ही 18 तारीख से भारत और न्यूज़ीलैंड (India vs New Zealand) के बीच साउथैंप्टन में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (ICC World Test Championship) का फाइनल खेला जाना है. विराट कोहली और रवि शास्त्री उसी मैच की प्लेइंग 11 की अंतिम तस्वीर पर मेहनत कर रहे होंगे. फाइनल लड़ाई जीतने के लिए सबसे बड़ी जरूरत है एक संतुलित प्लेइंग-11। इस प्लेइंग 11 में भारत के रॉकस्टार की जगह बनती है या नहीं? यही सवाल विराट कोहली और रवि शास्त्री के सामने है. रॉकस्टार यानी रवींद्र जडेजा. पिछले साल हार्दिक पंड्या ने उन्हें रॉकस्टार की उपाधि दी थी.

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जडेजा के तौर पर मिलता है एक ‘कंपलीट पैकेज’

ये बताने की जरूरत नहीं है कि रवींद्र जडेजा के तौर पर टीम को एक ‘कंपलीट पैकेज’ मिलता है. जडेजा निचले क्रम में भरोसेमंद बल्लेबाज हैं. इसके अलावा वो शानदार गेंदबाजी करते हैं. उनकी फील्डिंग तो कमाल की है ही. इन्हीं खूबियों की बदौलत वो अब तक टीम इंडिया के लिए 51 टेस्ट मैच खेल चुके हैं. बड़ी बात ये है कि इसमें उन्होंने 220 विकेट लिए हैं. वो एक शतक भी जड़ चुके हैं. पंद्रह अर्धशतक उनके खाते में हैं. भारत के पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे में भी उन्हें दो टेस्ट मैच में खेलने का मौका मिला था. कई बार लोगों को लगता है कि रवींद्र जडेजा को एशियाई पिचों पर ही प्लेइंग 11 में मौका मिलता है. ये बात कुछ हद तक ठीक है लेकिन पूरी तरह नहीं. रवींद्र जडेजा ने जो 51 टेस्ट मैच खेले हैं उसमें 18 टेस्ट मैच उन्होंने विदेशी पिचों पर खेले हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जिन दो टेस्ट मैच में वो खेले थे उसमें उन्होंने 7 विकेट भी लिए थे. इसके बाद वो अनफिट हो गए थे. रवींद्र जडेजा को न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 6 टेस्ट मैच का अनुभव भी है. जिसमें उन्होंने 19 विकेट लिए हैं.

कहां फंस रहा है जडेजा के सेलेक्शन का पेंच

दरअसल, रवींद्र जडेजा के प्लेइंग 11 में आने के लिए पिच का स्पिन ‘फ्रेंडली’ होना जरूरी है. क्योंकि टीम में स्पेशलिस्ट स्पिनर के तौर पर आर अश्विन पहली पसंद होंगे. अश्विन भी परिपक्व बल्लेबाजी करते हैं. ऐसे में जडेजा प्लेइंग 11 में तब ही आएंगे जब विराट कोहली को पिच में दो स्पिनर्स के लिए ‘कुछ’ दिखाई दे. वैसे इंग्लैंड का मौसम इस वक्त ऐसा है कि उसमे विराट कोहली दो स्पिनर्स के साथ उतरने की सोच सकते हैं. इसलिए जडेजा के फैंस को अभी मायूस होने की जरूरत नहीं है. अभी तक जिन खिलाड़ियों का नाम तय है उसमें रोहित शर्मा, शुभमन गिल, चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली, अजिंक्य रहाणे, हनुमा विहारी, ऋषभ पंत, आर अश्विन, मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह हैं. अब इस टीम में सिर्फ एक खिलाड़ी की जगह बचती है.

बल्‍लेबाजी को गहराई देने पर रहता है विराट का जोर

अगर विराट कोहली तीसरे तेज गेंदबाज को खिलाएंगे तो रवींद्र जडेजा का पत्ता कट जाएगा. भूलना नहीं चाहिए कि हाल के दिनों में विराट कोहली टीम की बल्लेबाजी को और गहरा करने पर जोर देते रहे हैं. उनकी कोशिश रही है कि उन गेंदबाजों को वरीयता दी जाए जो वक्त पड़ने पर बल्लेबाजी भी कर सकते हैं. यहां शार्दुल ठाकुर रवींद्र जडेजा को टक्कर दे सकते हैं. ठाकुर ने भी हाल के दिनों में कप्तान विराट कोहली को काफी प्रभावित किया है. यानी कुल मिलाकर कहानी यहां आकर फंसती है कि पिच से कैसे संकेत मिलते हैं.

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