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साधक के ध्यान देने योग्य बातें

 साधक ध्यान दे- 


1.भजन का उत्तम समय सुबह 3 से 6 होता है।

2. 24 घंटे में से 3 घंटों पर आप का हक नही, ये समय गुरु का है।

3.कमाए हुए धन का 10 वा अंश गुरु का है. इसे परमार्थ में लगा देना चाहिए।

4.गुरु आदेश को पालना ही गुरु भक्ति है। गुरु का पहला आदेश भजन का है जो नामदान के समय मिला था।

5. 24 घंटों के जो भी काम, सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक करो सब गुरु को समर्पित करके करोगे तो कर्म लागू नही होंगे। अपने उपर ले लोगे तो पांडवों की तरह नरक जाने पड़ेगा, जो हो रहा है उसे गुरु की मोज समझो।

6. 24 घंटे मन में सुमिरन करने से मन और अन्तःकरण साफ़ रहता है और गुरु की याद भी हमेशा रहेगी। यही तो सुमिरन है।

7.भजन करने वालो को, भजन न करने वाले पागल कहते है। मीरा को भी तो लोगो ने प्रेम दीवानी कहा था।

8.कही कुछ खाओ तो सोच समझ कर खाओ, क्योंकि जिसका अन्न खाओगे तो मन भी वैसा ही हो जायेगा।

मांसाहारी के यहाँ का खा लिए तो फिर मन भजन में नही लगेगा।

_“जैसा खाए अन्न वैसा होवे मन, जेसा पीवे पानी वैसी होवे वाणी.”

9.गुरु का आदेश, एक प्रार्थना रोज़ होनी चाहिए।

10. सामूहिक सत्संग ध्यान भजन से लाभ मिलता है. एक कक्षा में होंशियार विद्यार्थी के पास बेठ कर कमजोर विद्यार्थी भी कुछ सीख लेता है, और कक्षा में उतीर्ण हो जाता है।

11. गुरु का प्रसाद यानी “बरक्कत” रोज़ लेनी चाहिए।

12.भोजन दिन में 2 बार करते हो तो भजन भी दिन में २ बार करना चाहिए, जिस दिन भजन न पावो उस दिन भोजन भी करने का हक नही।

13.हर जीव में परमात्मा का अंश है इसलिए सब पर दया करो, सब के प्रति प्रेम भाव रखो, चाहे वो आपका दुश्मन ही क्यों न हो। इसे सोचोगे की मैं परमात्मा की हर रूह से प्रेम करता हूँ तो भजन भी बनने लगेगा।

14. परमार्थ का रास्ता प्रेम का है, दिमाग लगाने लगोगे तो दुनिया की बातो में फंस के रह जाओगे।

15.आज के समय में वही समझदार है जो घर गृहस्थी का काम करते हुए भजन करके यहाँ से निकल चले, वरना बाद में तो रोने के सिवाय कुछ नही मिलने वाला ।

16. अपनी मौत को हमेशा याद रखो। मौत याद रहेगी तो मन कभी भजन में रुखा नही होगा।  मौत समय बताके नही आएगी।

17.साथ तो भजन जायेगा और कुछ नही. इसलिए कर लेने में ही भलाई है, और जगत के काम झूंठे है।

18.नरकों की एक झलक अगर दिखा दी जाये तो मानसिक संतुलन खो बैठोगे. इसलिए तो महात्माओ ने बताया सब सही है. वो किसी का नुकसान नही चाहते। बात तो बस विश्वास की है।

19.भोजन तो बस जीने के लिए खाओ. खाने के लिए मत जीवो। भोजन शरीर रक्षा के लिए करो।

20.परमार्थ में शरीर को सुखाना पड़ता है मन और इन्द्रियों को वश में करना पड़ता है जो ये करे वही परमार्थ के लायक है।

21.अपने भाग्य को सराहो कि आपको गुरु और नामदान मिल गये, जब दुनिया रोती नजर आएगी तब इसकी कीमत समझोगे।

22.किसी की निंदा मत करो वरना उसके कर्मो के भार तले दब जाओगे। क्यों किसी के कर्मों के लीद का पहाड़ अपने सर पर ले रहे हो।

23.भजन ना बनने का कारण है गुरु के वचनों का याद न रहना, गुरु वचनों को माला की तरह फेरते रहो जैसे एक कंगला अपनी झोली को बार बार टटोलता है।

24. इस कल युग में तीन बातो से जीव का कल्याण हो सकता है। एक सतगुरु पूरे का साथ, दूसरा साधु की संगत और तीसरा “नाम” का सुमिरन, ध्यान और भजन,बाकी सब झगड़े की बाते है इस वक्त में सिवाय इन तीन बातो के और कर्मो में जीव का अकाज होता है।

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