जेल का नाम सुनते ही मन में खूंखार कैदियों की छवि सामने आ जाती है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक झारखंड के देवघर यानी बाबा बैद्यनाथ धाम में स्थित शिवलिंग पर श्रृंगार पूजा में सजने वाला ‘पुष्प नाग मुकुट’ शहर स्थित जेल में ही तैयार किया जाता है।
कामना लिंग के नाम से विश्व प्रसिद्ध बाबा नागेश्वर के शीर्ष पर श्रृंगार पूजा के समय प्रतिदिन फूलों और बेलपत्र से तैयार किया हुआ ‘नाग मुकुट’ पहनाया जाता है। यह नाग मुकुट देवघर की जेल में कैदियों द्वारा तैयार किया जाता है। इस पुरानी परंपरा का निर्वहन आज भी कैदी बड़े उल्लास से करते हैं।
यह बेहद पुरानी परंपरा है। कहा जाता है कि वर्षों पहले एक अंग्रेज जेलर था। उसके पुत्र की अचानक तबीयत खराब हो गई। उसकी हालत बिगड़ती देख लोगों ने जेलर को बाबा के मंदिर में ‘नाग मुकुट’ चढ़ाने की सलाह दी। जेलर ने लोगों के कहे अनुसार ऐसा ही किया और उसका पुत्र ठीक हो गया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।
जेल के अंदर इस मुकुट को तैयार करने के लिए एक विशेष कक्ष है, जिसे लोग ‘बाबा कक्ष’ कहते हैं। यहाँ एक शिवालय भी है। खास बात यह है कि मुकुट बनाने के लिए कैदियों की दिलचस्पी देखते बनती है। मुकुट बनाने के लिए कैदियों को समूहों में बांट दिया जाता है। कैदी उपवास रखकर बाबा कक्ष में नाग मुकुट का निर्माण करते हैं और शिवालय में रख पूजा-अर्चना करते हैं।
शाम को यह मुकुट जेल से बाहर निकाला जाता है और फिर जेल के बाहर बने शिवालय में मुकुट की पूजा होती है। इसके बाद जेलकर्मी इस नाग मुकुट को कंधे पर उठाकर भोले बाबा के जयकारे लगता हुआ इसे बाबा के मंदिर तक पहुंचाता है। शिवरात्रि को छोड़कर वर्ष के सभी दिन श्रृंगार पूजा के समय नाग मुकुट सजाया जाता है। शिवरात्रि के दिन भोले बाबा का विवाह होता है। इस कारण यह मुकुट बाबा बासुकीनाथ मंदिर भेज दिया जाता है।
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