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2030 का भारत - उत्तम स्वास्थ्य तथा खुशहाली है तीसरा लक्ष्य




“जो व्यक्ति उत्तम स्वास्थ्य का आनंद लेता है, वह अमीर तथा समृद्ध होता है, भले ही वह यह बात न जानता हो।”
यहाँ कथनार्थ यह है कि खराब स्वास्थ्य केवल उस व्यक्ति विशेष की खुशहाली पर ही असर नहीं डालती, बल्कि परिवार तथा समाज पर भी बोझ बन जाता है, उन्हें कमजोर बना देता है और उनकी क्षमता का ह्रास कर देता है। अच्छा स्वास्थ्य न सिर्फ जीने के लिए जरुरी है, बल्कि यह आर्थिक वृद्धि तथा सम्पन्नता को भी बल देता है, जो खुशहाल जीवन का परिणाम है।

#2030 के भारत के सतत विकास का तीसरा लक्ष्य उत्तम स्वास्थ्य तथा खुशहाली है। वर्ष 2000 के बाद से हमारे देश में एचआईवी/एड्स, मलेरिया, तथा टीबी जैसे संक्रामक रोगों पर हमने काफी काबू पाया है और यह उम्दा पहल निरंतर जारी है, जिसमें भारत रोगों के नए उपचारों, टीकों तथा स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी कि खोज में जबर्दस्त प्रगति कर रहा है। 2030 तक हानिकारक रसायनों, वायु, जल और मृदा प्रदूषण तथा दूषण से होने वाली मौतों और बीमारियों में भारी कमी करना और सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों और घायलों की संख्या आधी से भी कम करना इस लक्ष्य का आधार है। इसके साथ ही, मातृ मृत्यु अनुपात घटाकर प्रति एक लाख जीवित शिशु प्रसव पर 70 से भी कम करना, नवजात शिशुओं और पांच साल कम उम्र में बच्चों में निरोध्य मौतें कम करना, वित्तीय जोखिम संरक्षण सहित सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना, उत्तम आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ कराना तथा सभी के लिए निरापद, असरदार, उत्तम और किफायती जरूरी दवाएँ और टीके सुलभ कराना भी 2030 के इस लक्ष्य में शामिल है।


 

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