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अंडर-19 चैंपियन सौम्या बोलीं-फाइनली हमने कर दिखाया:कहा- लड़कों के साथ मैच में 6 विकेट लिए, विनिंग शॉट लगाया तो सपना पूरा हुआ

 अंडर-19 विमेंस वर्ल्ड कप फाइनल का विनिंग चौका लगाने वाली भारत की सौम्या तिवारी विराट कोहली को अपना आइडल मानती हैं। 17 साल की सौम्या चैंपियन बनने के बाद गुरुवार रात को अपने घर पहुंचीं। वह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रहती हैं। घर पहुंचते ही दैनिक भास्कर ने सौम्या तिवारी से खास बातचीत की।

12 साल की उम्र से क्रिकेट खेल रहीं सौम्या के वर्ल्ड चैंपियन बनने का सफर आसान नहीं रहा। दीदी से जिद कर क्रिकेट एकेडमी जॉइन की। एकेडमी में एकमात्र लड़की होते हुए लड़कों के बीच क्रिकेट सीखा। पिता को छोटी बच्ची के चोटिल होने का डर था तो कोच ने बेहतरीन फील्डिंग देख लड़कों के बीच टूर्नामेंट खिलाए। आगे स्टोरी में हम सौम्या के ही शब्दों में उनकी सक्सेस स्टोरी जानेंगे।



वर्ल्ड कप जीतने पर सौम्या को मिठाई खिलाती उनकी मां। बाएं से पहले कोच सुरेश चैनानी, पिता मनीष तिवारी, बहन साक्षी और मां के पीछे सौम्या की बेस्ट फ्रेंड मेघना।

वर्ल्ड कप जीतने पर सौम्या को मिठाई खिलाती उनकी मां। बाएं से पहले कोच सुरेश चैनानी, पिता मनीष तिवारी, बहन साक्षी और मां के पीछे सौम्या की बेस्ट फ्रेंड मेघना।

उससे पहले जानें सौम्या ने क्या किया है...

इंडियन विमेंस टीम को पहली ICC ट्रॉफी जिताई

29 जनवरी को अंडर-19 विमेंस वर्ल्ड कप फाइनल में भारत ने इंग्लैंड को 7 विकेट से हराया। यह भारतीय महिला टीम की किसी भी लेवल पर पहली ही ICC ट्रॉफी है। सौम्या ने फाइनल में 24 रन की नॉटआउट पारी खेली। तीसरे विकेट के लिए 46 रन की अहम पार्टनरशिप की और चौका लगाकर टीम को जीत दिलाई।

1. विनिंग शॉट के बाद क्या इमोशंस थे?

विनिंग शॉट कनेक्ट होते ही फील आया, फाइनली... हमने कर दिखाया। भारत के लिए वर्ल्ड कप जीतना अब सपना नहीं रहा। 2 साल से जिसके लिए तैयारी की, हमने वो हासिल कर लिया। हमेशा से टीम इंडिया को वर्ल्ड कप जिताने का सपना लेकर ही क्रिकेट खेला है।

2. क्रिकेट खेलना कब से शुरू किया?

12 साल की थी तो एकेडमी पहुंची। लेकिन, कोच ने मना कर दिया। वो बोले, यहां सब लड़के ही हैं, तुम्हारे लिए मुश्किल होगा। घर आकर दीदी से जिद की, मुझे तो क्रिकेट ही खेलना है। दीदी दोबारा कोच के पास ले गईं, खूब रिक्वेस्ट की और एडमिशन दिला कर ही मानीं।

3. लड़कों के साथ कैसे मैनेज किया?

हमेशा से मेरे छोटे ही बाल थे। लड़कों को जैसे ही पता लगा कि मैं लड़की हूं तो वे मजाक उड़ाने लगे। कोच ने सपोर्ट किया और लड़कों के बीच ही प्रैक्टिस कराई। कई टूर्नामेंट भी खिलाए, यहां से मेरा गेम इम्प्रूव हुआ। अब तो लड़कों के बीच खेलने की आदत ही हो गई है।

सौम्या हमेशा से छोटे बाल रखती थीं। इस कारण कई बार लड़के उनका मजाक भी उड़ाते थे।

सौम्या हमेशा से छोटे बाल रखती थीं। इस कारण कई बार लड़के उनका मजाक भी उड़ाते थे।

4. चोट लगने पर मां क्या बोलती थीं?

एकेडमी में पहले ही दिन चेहरे पर बॉल लग गई। लाल निशान पड़ गया, बहुत दर्द हुआ। मां बोलीं- बेटा क्रिकेट खेलना है तो इतना सहना ही पड़ेगा। बस तब से चोटें तो बहुत लगीं, लेकिन फील्ड से दूरी कभी नहीं बनाई।

फाइनल में सौम्या की मां भारती तिवारी भगवान से टीम की जीत की दुआ मांग रही थीं।

फाइनल में सौम्या की मां भारती तिवारी भगवान से टीम की जीत की दुआ मांग रही थीं।

5. क्रिकेट और पढ़ाई को एक साथ कैसे मैनेज किया?

8वीं में क्रिकेट शुरू किया तो स्कूल ने सपोर्ट नहीं किया। अब अंडर-19 खेला तो 12वीं कक्षा के नोट्स भी मिल जाते हैं। टीचर्स ऑनलाइन क्लास से तैयारी करा देते हैं, अटेडेंस की भी दिक्कत नहीं होती।

6. क्रिकेट को सीरियसली कब लिया?

3 साल पहले भोपाल अंडर-19 टीम से संभाग लेवल टूर्नामेंट खेला। फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अगले साल मध्य प्रदेश अंडर-19 टीम में एंट्री, फिर सीनियर टीम और यहीं से पहली बार नेशनल कैंप के लिए सेलेक्ट हो गई। स्टेट अंडर-19 टीम को मैंने कप्तानी में चैलेंजर्स ट्रॉफी भी जिताई।

कप्तान सौम्या तिवारी ने मध्य प्रदेश स्टेट टीम को अंडर-19 नेशनल टी-20 ट्रॉफी जिताई थी।

कप्तान सौम्या तिवारी ने मध्य प्रदेश स्टेट टीम को अंडर-19 नेशनल टी-20 ट्रॉफी जिताई थी।

7. टीम इंडिया में कब सेलेक्ट हुईं?

अंडर-19 स्टेट टीम से जोन की टीम में नाम आया। 10 मैच खेलने के बाद NCA में कप्तानी मिली। यहां भी टीम चैंपियन बनी। अंडर-19 नेशनल टीम के लिए शॉर्ट लिस्ट हो गई। बेंगलुरु में एक महीने तक ट्रेनिंग हुई और कैंप खत्म होने के टीम इंडिया के स्क्वॉड में मेरा नाम आ गया।

टूर्नामेंट के 6 महीने पहले 15 प्लेयर्स की स्पेशल प्रैक्टिस शुरू हुई। श्रीलंका, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड को सीरीज हराने के बाद साउथ अफ्रीका पहुंचे। वर्ल्ड कप से पहले उन्हें भी टी-20 सीरीज हराई।

8. शेफाली और ऋचा से तालमेल कैसे बैठाया?

बाकी टीम मेंबर्स 6 महीने से प्रैक्टिस कर रही थीं और दोनों खिलाड़ी सीनियर टीम से सीधा हमारे साथ आ गईं। शुरू में दिक्कतें हुईं, फिर वॉर्म-अप में गेम्स खेले तो आपस में घुल-मिल गए। दोनों ने साथ लंच किया और फिर साथ बैठाकर बातें कीं। हम भी उन्हें समझने लगे और कोऑर्डिनेशन भी बन ही गया।

अंडर-19 टीम की कप्तान शेफाली वर्मा के दाहिने ओर खड़ी सौम्या तिवारी। शेफाली सीनियर विमेंस टीम की प्लेयर भी हैं। उनके साथ तालमेल बैठाने में पूरी टीम को शुरुआती दिक्कतें आई थीं।

अंडर-19 टीम की कप्तान शेफाली वर्मा के दाहिने ओर खड़ी सौम्या तिवारी। शेफाली सीनियर विमेंस टीम की प्लेयर भी हैं। उनके साथ तालमेल बैठाने में पूरी टीम को शुरुआती दिक्कतें आई थीं।

9. वर्ल्ड कप जीत को कैसे देखती हैं?

साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले मैच में ही दर्शक हमारी हूटिंग करने लगे। इतने बड़े क्राउड के सामने नर्वस हो गई। फिर एक्साइटमेंट बढ़ी और क्राउड की आदत हो गई। फाइनल को भी फन गेम की तरह खेला, प्रेशर नहीं लिया और हम जीत गए। वर्ल्ड कप जीत को लर्निंग फेज का एक्सपीरिएंस मान रही हूं।

10. बेंच पर थीं, तब क्या माइंडसेट रहा?

मैं तो टीम मेंबर्स को पानी पिला कर भी खुश थी। मैनेजमेंट ने स्ट्रैटजी के तहत प्लेइंग इलेवन चुनी। मैंने एक्स्ट्रा खिलाड़ी बनने का फेज एंजॉय भी किया। दूसरी टीम को ऑब्जर्व किया। ऑस्ट्रेलियन टीम की फील्डिंग देख हैरान थी। फिर उनकी ट्रेनिंग ड्रिल्स देखी। अब तो फील्डिंग इम्प्रूव करने के लिए मैं भी उन ड्रिल्स को ट्राय करूंगी।


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