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पीएम मोदी आज कर रहे Corona Vaccine की तैयारियों की समीक्षा, जानिए कौन सी वैक्सीन किस ट्रायल में है

Corona Vaccine Update: पीएम मोदी (PM Modi) कोरोना वैक्सीन की तैयारियों की समीक्षा के लिए अहमदाबाद, हैदराबाद और पुणे के दौरे पर निकले हैं। इन तीनों शहरों के वैक्सीन सेंटर में पीएम मोदी कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) की प्रगति का जायजा लेंगे।



कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) का भारत समेत पूरी दुनिया में बेसब्री से इंतजार हो रहा है। इस बीच पीएम मोदी आज कोरोना वैक्सीन के तैयारियों की समीक्षा करने निकले हैं। पीएम मोदी इस समय अहमदाबाद के जायडस बायोटेक पार्क में हैं जहां वहा जायडस कैडिला की वैक्सीन जायकोव-डी की समीक्षा करेंगे। इसके बाद पीएम मोदी क्रमशः हैदराबाद में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और पुणे के सीरम इंस्टिट्यूट में ऑक्‍सफर्ड-एस्‍ट्राजेनेका की वैक्सीन की भी समीक्षा करेंगे। यहां हम आपको बता रहे हैं कि कौन सी वैक्सीन इस ट्रायल के कौन से चरण में है....

कोरोना को रोकने में 90% तक कारगर है ऑक्‍सफर्ड की वैक्‍सीन

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ऑक्‍सफर्ड की वैक्‍सीन 'कोविशील्‍ड' से भारत को खासी उम्‍मीदें हैं क्‍योंकि इसके लिए सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) पुणे ने एस्‍ट्राजेनेका से डील की है। SII कोविशील्‍ड की 100 करोड़ डोज तैयार करेगा। भारत सरकार सीरम इंस्टिट्यूट के संपर्क में है और वैक्‍सीन खरीदने को लेकर बातचीत जारी है। सूत्रों के मुताबिक, यह वैक्‍सीन करीब 500-600 रुपये में मिलेगी, लेकिन सरकार के लिए इसकी कीमत आधी हो जाएगी। 'कोविशील्‍ड' न सिर्फ ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी जैसी प्रतिष्ठित रिसर्च संस्‍था ने बनाई है, बल्कि यह 90% तक असरदार भी है। इसको स्‍टोर करने के लिए बहुत कम तापमान की जरूरत नहीं और दाम भी बाकी वैक्‍सीन से कम हैं। वैक्‍सीन के फेज 3 ट्रायल का जो डेटा सामने आया है उसका अंतरिम विश्लेषण बताता है कि ओवरऑल इसकी एफिसेंसी (प्रभावोत्‍पादकता) 70.4% रही है। खास बात यह है कि रिसर्चर्स कह रहे हैं कि डोज की मात्रा बदलने पर वैक्‍सीन और असरदार साबित हो रही है। जब वैक्‍सीन की पहली डोज आधी और दूसरी डोज पूरी रखी गई तब वैक्‍सीन 90% तक असरदार रही।

भारत बायोटेक की 'कोवैक्सीन' के तीसरे चरण का ट्रायल एम्स में शुरू


भारत बायोटेक की ओर से बनाई जा रही स्वदेशी कोरोना वैक्सीन 'कोवैक्सीन' के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इंसानों पर क्लिनिकल ट्रायल के तीसरे चरण की शुरुआत हो गई। एम्स के तंत्रिका विज्ञान केंद्र की प्रमुख एमवी पद्मा श्रीवास्तव और तीन अन्य स्वयंसेवकों ने इस वैक्सीन की पहली डोज ली है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर भारत बायोटेक ‘कोवैक्सिन’ को विकसित कर रहा है। सूत्रों ने कहा कि डॉ. श्रीवास्तव को पहला टीका लगाया गया और अगले कुछ दिनों में एम्स में 15 हजार से ज्यादा स्वयंसेवकों को टीका लगाया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि परीक्षण के तहत 0.5 मिलीलीटर की पहली खुराक देने के 28 दिन बाद 0.5 मिलीलीटर की दूसरी खुराक दी जाएगी। तीसरे चरण के तहत 18 वर्ष और उससे ज्यादा की आयु के 28,500 लोगों को विभिन्न केंद्रों पर परीक्षण टीका लगाया जाएगा।

जाइडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन भी है रेस में

दवा कम्पनी ‘जाइडस कैडिला’ भी कोरोना वैक्सीन का निर्माण कर रही है और इसने वैक्सीन को 'जायकोव-डी' नाम दिया है। कंपनी ने पहले घोषणा की थी कि कोविड-19 के संभावित टीके का पहले फेज का ट्रायल पूरा हो गया है और दूसरे फेज का ट्रायल अगस्त में शुरू किया गया था। जानकारी के मुताबिक, जाइडस कैडिला का वैक्सीन अगले साल मार्च तक इस्तेमाल के लिए तैयार हो सकता है। बताया जा रहा है कि जाइडस कैडिला 17 करोड़ वैक्सीन बनाने की तैयारी कर रहा है। पीएम मोदी ने शनिवार को जायडस बायोटेक पार्क पहुंचकर वैक्सीन की तैयारियों की समीक्षा भी की।

कोरोना वैक्सीन लोगों तक पहुंचाने के लिए चुनाव जैसी महातैयारी

भारत में लोगों को वैक्सीन दिए जाने की तैयारी की जा रही है। वैसे तो हर देशवासी को कोरोना से बचाव के लिए टीका लगाए जाने की योजना है, लेकिन सबसे पहले 30 करोड़ लोगों को टीका लगेगा। प्राथमिकता के आधार पर सबसे पहले हेल्‍थ वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और सीनियर सिटिजंस को वैक्‍सीन देने की तैयारी है। वैक्सीनेशन के लिए नीति आयोग की तरफ सुझाए गए प्‍लान के तहत चुनावों में जिस तरह पोलिंग बूथ बनाए जाते हैं, वैसे ही वैक्सीन बूथ बनाकर लोगों को वैक्सीन मुहैया कराई जाएगी। भारत ने कोरोनावायरस वैक्‍सीन की 60 करोड़ डोज का प्री-ऑर्डर कर दिया है। इसके अलावा एक अरब डोज और पाने के लिए बातचीत चल रही है। भारत में 40 लाख डॉक्टर और नर्स वैक्सीन के काम में लगे हुए हैं। वैक्सीनेशन को पूरा करने के लिए 300 करोड़ डिस्पोजेबल सीरिंज की आवश्कता पड़ेगी।

वैक्सीन बनाने में दुनिया में नंबर 1 है भारत

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भारत विश्व में सबसे ज्यादा वैक्सीन मैन्युफैक्चर करता है। मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर किसी वैक्सिनेशन प्रोग्राम को पूरी दुनिया में चलाना है तो यह भारत के बिना संभव नहीं है। यह क्षमता भारत में ही है कि इतने बड़े स्तर पर वैक्सीन तैयार कर सके। जरूरत और आबादी के कारण भारत अमूमन 3 अरब वैक्सीन हर साल तैयार करता है। इसमें से वह 2 अरब वैक्सीन डोज हर साल निर्यात करता है। वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग में भारत कितना आगे हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है हर 3 में एक वैक्सीन मेड इन इंडिया होती है। भारत में वैक्सीन के मास प्रॉडक्शन के कारण यह दूसरे देशों के मुकाबले सस्ता होता है। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) विश्व में सबसे ज्यादा वैक्सीन तैयार करती है। हर साल यह 1.5 अरब डोज वैक्सीन तैयार करती है। आपको बता दें कि SII ऑक्सफर्ड के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन 'कोविशील्ड' तैयार कर रहा है जो तीन फेज के ट्रायल के बाद करीब 90 फीसदी कारगर पाया गया है।

 

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