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इस जेल की यूनिवर्सिटी में रोज कुछ नया सीखते हैं कैदी | Kambhakht जेल

 

राजस्थान की उदयपुर सेंट्रल जेल में एक हजार से ज्यादा कैदी हैं। जेल में बंद अधिकतर कैदी जेल की चारदीवारी के भीतर अपराध बोध से बाहर आने की कोशिश में लगे हुए हैं। जेल में बंद कैदी और विचाराधीन अपराधी संगीत की शिक्षा लेते हैं, हेयर कटिंग के गुर सीखते हैं, कोई पेंटिंग ब्रश से कल्पनाओं की उड़ान भरता है, पढ़े लिखे कैदी कंप्यूटर टाइपिंग, कोरल ड्रॉ और फोटो शॉप चलाना भी सीखते हैं। योग और ध्यान के सहारे उन्हें बीते हुए कल से निकालकर नई ऊर्जा दी जाती है। 


बता दें कि उदयपुर की स्वराज जेल यूनिवर्सिटी आम यूनिवर्सिटी से बेहद अलग है। यहाँ ना तो कैदियों को किताबों के बोझ से दबाया जाता है और ना ही लंबे लंबे किताबी ज्ञान दिए जाते हैं, बल्कि उन्हें जेल के भीतर ऐसा कुछ सिखाया जाता है, जिससे उनके मन से अपराध की सोच खत्म की जा सके। 
इस यूनिवर्सिटी के सह-संस्थापक और गैर लाभकारी संगठन शिक्षांतर के सह-संस्थापक मनीष जैन बताते हैं कि इस प्रोजेक्ट से जुड़े लोग कई बार जेल गए और वहाँ के कैदियों के मन को टटोलने की कोशिश की। कुछ कैदियों ने अपने गुजरे हुए कल के बारे में बताया, और यह भी बताया कि वे समाज में सम्मानजनक जीवन बिताने की ख्वाहिश रखते हैं। 
कैदियों को सम्मानजनक जिंदगी देना है मकसद
कैदियों से मिलने के बाद मनीष को जेल यूनिवर्सिटी बनाने का विचार आया। जेल यूनिवर्सिटी बन जाने के बाद अलग-अलग टीम बनाई गई और अलग-अलग विशेषताओं पर काम किया गया। फिलहाल जेल यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में 100 कैदी शामिल हैं। मनीष कहते हैं कि यदि कोई कैदी सजा काटकर जेल से बाहर निकलता है तो उसे 15 से 20 हजार रुपये महीने की नौकरी मिली चाहिए। अगर कौशल सीखने के बाद नौकरी मिल जाती है तब वह इंसान दोबारा अपराध की दुनिया में नहीं लौटेगा। 
जेल के भीतर जिन कौदियों ने कोरल ड्रॉ, फोटो शॉप सीखा है, उन्हें काम भी मिलने लगा है और वे जेल के भीतर रहते हुए प्रोफेशनल काम कर कुछ पैसे भी कमा रहे हैं।  



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